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अग्निपथ योजना के विरोध में ज्ञापन सौंपने गये चिराग पासवान से नहीं मिले बिहार के राज्यपाल, कहा- नौजवानों का भविष्य अंधकार में चला जाएगा

अग्निपथ योजना के विरोध में ज्ञापन सौंपने गये चिराग पासवान से नहीं मिले बिहार के राज्यपाल, कहा- नौजवानों का भविष्य अंधकार में चला जाएगा

पटना. अग्निपथ योजना के विरोध में राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के लिए चिराग पासवान राजभवन पहुंचे। लेकिन चिराग पासवान से राज्यपाल फागू चौहान ने नहीं मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना केंद्र सरकार की अदूरदर्षिता वाली योजना है। इससे 17 से 21 वर्ष के छात्र, नौजवानों का भविष्य अंधकार में चला जायेगा। अपने भविष्य की चिंता के साथ देश भर में छात्र और नौजवान उग्र आन्दोलन कर रहे हैं।


उन्होंने कहा कि 17 से 21 वर्ष की उम्र बच्चों की शिक्षा पूरी करने की उम्र होती है। ऐसे में यदि वह अपने जीवन के महत्वपूर्ण 4 साल भारतीय सेना को देते हैं, तो उनकी शिक्षा पर असर पड़ेगा और उनकी पढ़ाई अधूरी रह जायेगी। 21 वर्ष की उम्र में रिटायरमेंट के बाद शायद ही कोई कॉलेज उन्हें एडमिशन दे। ब्रिज कॉर्ससेज (अल्प अवधि) की बात सरकार के द्वारा की जा रही है, लेकिन नियमित शिक्षा के माध्यम से बच्चें जो ज्ञान हासिल करते हैं वह चार साल की पढ़ाई छुटने के बाद सम्भव नहीं होगा। परिणाम स्वरूप देश की एक बड़ी आबादी उच्च शिक्षा के ज्ञान से अछुती रह जायेगी।

कई प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के द्वारा इन युवाओं को सेवानिवृति के बाद अपने-अपने प्रदेशों में प्राथमिकता के आधार पर रोजगार देने की बात कही गई है, लेकिन हाल-फिलहाल के आंकड़े दर्शाते हैं कि इन राज्यों में बेरोजगारी दर पहले से ही चरम सीमा पर है। सेवानिवृति के बाद इन बच्चों को पुनः रोजगार देने की कोई ठोस नीति अभी तक सरकार के द्वारा पेश नहीं की गई है, जिससे भी बच्चें काफी आक्रोशित है।

उन्होंने कहा कि भारतीय सेना का गौरवशाली इतिहास रहा है एवं हर संकट की घड़ी में भारतीय सेना के जवानों ने हमारे देश के मान- सम्मान को बढ़ाने का काम किया है। भारतीय सेना कोई रोजगार देने की फैक्ट्री नहीं है। ज्यादा रोजगार उत्पन्न करने की मंशा से भारतीय सेना का इस्तेमाल करना कतई उचित नहीं है। पेंशन के आर्थिक बोझ को कम करने के लिए भारतीय सेना को प्रयोगशाला की तरह इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता। हर भारतीय युवा के लिए भारतीय सेना में जाकर देश के लिए अपना सर्वोच्च निछावर करना एक सपना रहा है। ऐसे में अनुबंध के आधार पर की गई सैनिकों की भर्ती भारतीय सेना के मनोबल पर असर डालेगी। अधिकांश पूर्व सेना के वरिष्ठ अधिकारी एवं सेना विशेषज्ञ सरकार की इस योजना से सहमत नहीं है।

इस तरीके का फैसला लेने से पहले हितधारकों से विचार-विमर्ष करना सरकार की जिम्मेदारी है एवं देश की सेना से जुड़े फैसलों में सता पक्ष एवं विपक्ष के तमाम दलों की सहमति होना भी जरूरी है, परन्तु रक्षा मंत्रालय एवं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा ऐसी कोई पहल नहीं की गई है। यदि किसी योजना से उनके संभावित लाभार्थी ही संतुष्ट नहीं है तो उस योजना का कोई मायने नहीं रह जाता है। उदाहरण के तौर पर जिस तरीके से कृषि कानून से किसान ही खुश नहीं थे और लाख प्रयासों के बाद भी सरकार उन्हें समझाने में असमर्थ रही तो ऐसे में कृषि कानून को वापस लेना ही एक मात्र उपाय था। उसी तरह युवाओं के आक्रोष को ध्यान में रखते हुए रक्षा मंत्रालय को पुनर्विचार करते हुए इस योजना को शीघ्र वापस लेना चाहिए।

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) कतई हिंसा का समर्थन नही करती है, लेकिन आन्दोलित छात्रों, नौजवानों की भावनाओं एवं उनके आक्रोशों का सम्मान करती है। हमारी पार्टी आन्दोलित छात्र नौजवानों के पक्ष में मजबूती से खड़ी है। इस लिए हमारी पार्टी अग्निपथ योजना को सरकार से शीघ्र वापस लेने की मांग करती है। अतः महामहिम से आग्रह है कि बिहार प्रदेश की सही और स्पष्ट जानकारी आपके माध्यम से केन्द्र सरकार को दी जाय एवं बिहारी युवाओं के आक्रोश को केन्द्र सरकार तक पहुंचाने का कष्ट करें। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के मांग पत्र को भारत के माननीय राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को मूर्त रूप में भेजने की कृपा की जाय।

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