Bihar: बिहार चुनाव से पहले बिहार की धरती पर पहुंचते ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार की राजनीति को धार दे दी. बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार रोजगार एक बड़ा मुद्दा बन गया है. सभी प्रमुख पार्टियां अपने एजेंडे में इस मुद्दे को शामिल कर रही हैं. पार्टियों की तरफ से अपने घोषणापत्र में रोजगार देने के वादे को खास जगह दी है. जहां आरजेडी ने 10 लाख सरकारी नौकरियां देने का वादा किया है. तो वहीं बीजेपी ने आरजेडी के पीच पर बल्लेबाजी कर दी. बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में 19 लाख नई नौकरियां पैदा करने का वादा किया है. नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ जेडीयू का कहना है कि उसने पहले ही अपने कार्यकाल में 6 लाख नौकरियां पैदा की हैं, अब 60 हजार और नौकरियां पैदा की जा रही हैं.
इसी कड़ी में कांग्रेस भी पीछे नहीं है. कांग्रेस ने कहा कि अगर वह बिहार की सत्ता में आती है तो नौकरी मिलने तक बेरोजगारों को 1500 हजार रुपये मासिक भत्ता देगी. साथ ही कहा कि नई सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में 10 लाख नौकरी देने का फैसला लिया जाएगा.
चिराग पासवान की पार्टी लोजपा की बात करें तो लोक जनशक्ति पार्टी ने अपने घोषणापत्र में कितने रोजगार देंगे इसकी संख्या तो नहीं बताई है लेकिन जोर एलजेपी का भी रोजगार पर ही है. एलजेपी ने कहा कि कहा है कि वह एक वेब पोर्टल का निर्माण करेगी जहां नौकरी चाहने वाले और नियोक्ता सीधे जुड़ सकते हैं. यहां तक कहा गया है कि पार्टी की तरफ से युवा आयोग का गठन किया जाएगा.
बेरोजगारी ही मुद्दा क्यों
सभी पार्टियां युवाओं को अपने पाले में करना चाहती हैं. इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में कुल 7.18 करोड़ योग्य मतदाताओं में से 78 लाख पहली बार मतदान करेंगे. लगभग 4 करोड़ मतदाताओं की उम्र 18 से 40 के बीच है. इस ग्रुप के लोगों के लिए नौकरियां मिलना या नौकरियां खोना एक बड़ा मुद्दा है. यही वजह है कि सभी पार्टियां इसपर फोकस कर रही हैं.