PATNA: बिहार में सरकारी बॉडीगार्ड लेना स्टेटस सिंबल माना जाता है।बड़े और रसूददार लोग जिनमें नेता से लेकर अन्य लोग होते हैं ,पहुंच-पैरवी की बदौलत सरकारी बॉडीगार्ड पा जाते हैं और समाज में अपने आप को वीआईपी की श्रेणी में पेश करने की कोशिश करते हैं,वैसे लोगों पर सरकार का डंडा चला है।
आदेश का दिखने लगा असर
बिहार सरकार ने पिछळे साल सरकारी बॉडीगार्ड को लेकर जो आदेश जारी किया था उसका असर दिखना शुरू हो गया है।गृह विभाग ने बॉडीगार्ड देने को लेकर पुलिस मुख्यालय को अधिकार दिया था।इसके बाद पुलिस मुख्यालय ने राज्य और केंद्रीय सुरक्षा समिति का गठन किया।
छह महीनों के भीतर सुरक्षा समिति ने जिन लोगों को बॉडीगार्ड मिला था उनकी सुरक्षा ऑडिट किया।सुरक्षा ऑडिट के बाद बड़ी संख्या में ऐसे लोग पाए गए जिनकी सुरक्षा के लिए बॉडीगार्ड की कोई जरूरत नहीं थी।इसके बाद सुरक्षा समिति की अनुशंसा पर कार्रवाई शुरू हो गई है।
150 रसूखदारों से वापस लिया गया गया बॉडीगार्ड
बिहार पुलिस मुख्यालय ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पहले चरण में 150 रसूखदार लोगों से बॉडीगार्ड वापस ले लिया है।जानकारी के अनुसार मुख्यालय ने दूसरे चरण में कई अन्य पहुंच-पैरवी वाले लोगों से सरकारी अंगरक्षक छीनने वाला है।पुलिस मुख्यालय के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बड़ी संख्या में वैसे लोग भी सुरक्षा पा रहे थे जिन्हें कोई जरूरत महसूस नहीं की जा रही थी।
बता दें कि पहले जिलास्तर पर सुरक्षा समिति बनी हुई थी।डीएम उश समिति के अध्यक्ष होते थे।एसपी की सिफारिश पर लोगों को सरकारी बॉडीगार्ड दिए जाते थे।इसके बाद सरकार ने नियम बदला है।जिसका असर अब दिखना शुरू हो गया है।सरकार के इस फऱमान से रसूखदारों में हड़कंप मच गया है।क्यों कि परले चरण में 150 लोगों से सरकारी अंगरक्षक वापस लिया गया है।