GAYA : गया जिला के बाँकेबाजार प्रखण्ड के लुटुआ पंचायत के कोठीलवा गॉव के 70 वर्षीय लौंगी भुईयां को दूसरा दशरथ मांझी कहा जाता है. उन्होंने पहाड़ और वर्षा के पानी को संचय कर गॉव तक लाने के लिए ठान लिया. अब 30 सालों से वह प्रतिदिन घर से जंगल में पहुँच कर नहर बनाने निकल पड़ते हैं. कोठीलवा गॉव निवासी लौंगी भुईयां अपने बेटे, बहु और पत्नी के साथ रहते हैं. वन विभाग की जमीन पर सिंचाई के अभाव में सिर्फ मक्का व चना की खेती किया करते थे. रोजगार की तलाश में बेटा दूसरे राज्य में चला गया. चुकी गॉव के अधिकतर पुरुष दूसरे प्रदेशों में ही काम करते है. धीरे धीरे गॉव की आधी से ज्यादा की आबादी रोजगार के लिए दूसरी जगहों पर चली गयी. इसी बीच एक दिन लौंगी भुईयां बकरी चराने जंगल में गए. उनके मन में यह ख्याल आया कि अगर गॉव तक पानी आ जाये तो लोगों का पलायन रुक जाएगा. लोग खेतों में सभी फसल की पैदावार करने लगेंगे. इसके बाद उन्होंने पूरा जंगल घूम कर बंगेठा पहाड़ का व वर्षा का जल को जो पहाड़ पर रुक जाया करता था उसे अपने गॉव तक लाने के लिए एक डीपीआर यानी नक्शा तैयार किया. उसी नक्शे के अनुसार दिन में जब भी समय मिलता. वह नहर बनाने लगे. 30 साल बाद उनकी मेहनत रंग लाई और नहर पूरी तरह बनकर तैयार हो गया. बारिश के पानी को गॉव में बने तालाब में स्टोर कर दिया है. जहाँ से सिंचाई के लिए लोग उपयोग में लाने लगे है. इससे करीब 3 गॉव के 3000 हजार लोग लाभान्वित होंगे.
लौंगी भुईयां ने बताया की पत्नी, बहु और बेटा सभी लोग मना करते थे कि बिना मजदूरी वाला काम क्यों कर रहे है. वही लोग पागल समझने लगे थे कि कुछ नहीं होने वाला है. लेकिन जब आज नहर का काम पूरा हुआ और उसमें पानी आयी तो लौंगी भुइयां की प्रसंशा होने लगी. बताया कि सरकार अगर हमें ट्रैक्टर दे देती तो वह विभाग के बंजर पड़े जमीन को खेती लायक उपजाऊ बनाकर परिवार का भरण पोषण कर सकते है.
वही गॉव के ग्रामीण सुखदेव ने बताया कि सरकार को चाहिए कि लौंगी भुईयां को पेंशन व आवास योजना का लाभ दिलाये ताकि घर की आर्थिक स्थिति में सुधार हो. उन्होंने अपने लिए नहीं बल्कि कई गॉवो के लिए खुद मेहनत की है.
उधर इमामगंज प्रखण्ड के प्रखंड विकास पदाधिकारी जय किशन ने बताया की जल संरक्षण व जल संचय करने को लेकर राज्य सरकार भी कार्य कर रही है. ऐसे में लौंगी माँझी के जज्बे को सलाम है जो खुद 30 साल में 5 फीट चौड़ा और 3 फीट गहरा नहर का निर्माण कर बारिश के जल को संचय कर सिंचाई के लिए उपयुक्त बनाया है.
गया से मनोज कुमार की रिपोर्ट