PATNA: बिहार के एक वजीर साहब काफी सीधे-सादे माने जाते हैं। छोटे कद-काठी वाले वजीर पर काम का बड़ा बोझ है।बोझ तले वजीर साहब दबे हुए हैं। उनके ऊपर भविष्य को संवारने का जिम्मा है। लेकिन इन दिनों वजीर साहब खासे परेशान हैं।वजीर साहब परेशानी खत्म करने के लिए लगातार प्रलोभन दे रहे लेकिन उनके प्रलोभन में उनके हीं मातहत नहीं आ रहे।
सारा हथियार भोथर होने के बाद दागते हैं अंतिम अस्त्र
परेशानी की वजह कुछ भीतरी है तो कुछ बाहरी ।बाहरी परेशानी की वजह से वे इन दिनों खासे टेंशन में हैं.क्या अपने क्या पराये सब लोग इन दिनों वजीर साहब को घेर ले रहे।सबसे अधिक परेशानी तो “अंदर” हो रही है जब माननीय लोग हीं वजीर साहब की बोलती बंद कर दे रहे हैं।बड़ी मुश्किल से पार पाने की कोशिश करते हैं लेकिन सफल नहीं हो रहे। वजीर साहब तरकश का हर हथियार भोथर होते देख अंत में अपना ब्रह्माष्त्र दाग देते हैं। ब्रह्माष्त्र दागते हीं वजीर साहब के हाथ से गई बाजी पलट जाती है।वजीर साहब द्वारा अचूक हथियार चलाए जाने के बाद क्या पक्ष-क्या विपक्ष सब अपनी सीट पर बैठ वाह-वाह करने लगते हैं.
अब हम एक बड़ा मजेदार बात बता रहा हूं।बात एक दिन पुरानी है। उस दिन पूरा का पूरा दिन इन्हीं का था।अपर हाऊस में 12 बजे से सवालों की बौछार से वजीर साहब परेशान थे। सवाल का जवाब देते-देते मुंह सूख गया था।अपने-पराये सारे सदस्य एक दम से घेरे हुए थे। किसी तरह से सबको झेल रहे थे ।बोलते-बोलते वजीर साहब का मुंह सूख रहा था। सहयोगी ऐसे-ऐसे सवाल दाग दे रहे थे कि जबाब देना पहाड़ पार करने समान था।
आप आए हमको बड़ा बल मिला
दोपहर बाद का समय भी वजीर साहब का पीछा नहीं छोड़ा।वजीर साहब सोंच कर आए थे कि जो लिख कर मिला है उसे पढ़ देना है।लेकिन सदस्य कहां मानने वाले थे।वे बीच में सवाल दाग दे रहे थे।वे सवाल का जवाब दें या फिर जो लिख कर लाये हैं उसे पढ़ें? वे सामने अपने सबसे बड़े हाकिम को देख रहे थे।उनको देख कर थोड़ी तसल्ली मिल रही थी कि चलो मरे साथ कोई खड़ा तो है.खैर किसी तरह से पिंड छूटा।
जब वजीर साहब किसी तरह से पार पाकर सदन से बाहर निकले तो परिसर में अपने सबसे बड़े हाकिम को देखा।देखते हीं बोल पड़े,अपने अंदर का भाव इजाहर करते हुए कहा--आप आ गए थे हमको बड़ा बल मिला वरना........।यह कहकर दोनों अपने-अपने गंतव्य की ओर रवाना हो गए।