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बिहार की छोटी सी बच्ची का धमाल....प्रेरक भाषणों-मेंटरशिप सेशन से दुनिया बदलने की कर रही कोशिश

बिहार की छोटी सी बच्ची का धमाल....प्रेरक भाषणों-मेंटरशिप सेशन से दुनिया बदलने की कर रही कोशिश

DESK: बिहार की एक 12 साल की बच्ची ने देश भर में धमाल मचा कर रख दी है।बिहार के मोतिहारी में जन्मी यह 12 साल की बच्ची उद्यमिता और प्रौद्योगिकी पर अपने प्रेरक भाषणों से दुनिया को बदलने की कोशिश कर रही है। 12 साल की अंशु कुमारी मोतिहारी में जन्म लेने के बाद दिल्ली के सरकारी स्कूल के ईएमसी कार्यक्रम में उद्यमिता पर अपने प्रेरक भाषण और मेंटरशिप सेशन से दुनिया बदल रही है।

सातवीं कक्षा की छात्रा है अंशु

अंशु वर्तमान में गुरुग्राम के एक स्कूल में कक्षा 7 में पढ़ती है।इतनी छोटी उम्र में हीं वह दुनिया बदलने की कोशिश में जुटी है। अंशु 9 साल की उम्र में अपने पिता से कंप्यूटर सीखना शुरू किया।बातचीत के दौरान उनके बारे में बहुत कुछ पता चला।अंशु को कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर सीखने की प्रेरणा दुनिया को बाल तस्करी से मुक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू हुई। उनकी यह जिज्ञासा एक समाचार से शुरू हुई, जिसमें बाल तस्करी के बारे में बात की गई थी।इस खबर के बाद वह थोड़ा डर गई और वह रात में अच्छी नींद नहीं ले पाई।फिर इसी खबर ने उन्हें स्कूल के साथ कुछ अलग करने के लिए प्रेरित किया। 

मोटू-पतलू देखने की उम्र में अंशु दुनिया बदलने की ठानी

 ऐसी उम्र में जब अधिकांश बच्चे डोरेमोन और मोटू पतलू या यूट्यूब वीडियो देखते हैं। तब 9 साल की  अंशु ने इस विषय पर अपनी रुचि से कुछ समय इस तरह से बिताना शुरू किया कि वह अपनी तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ अपनी पढ़ाई और खेलों का प्रबंधन कर सके।उसने बाल तस्करी से बच्चों को बचाने के लिए समाचारों की तलाश और पूछताछ शुरू कर दी। अन्वेषण के दौरान उसके पिता ने उसे ब्लॉकचेन तकनीक से निर्मित मोबाइल एप्लिकेशन के बारे में सुझाव दिया। मजबूत प्रेरणा के साथ उसने कंप्यूटर की दुनिया में अपना परिचय देना शुरू किया और बच्चों के लिए स्वयं सहायता समुदाय का निर्माण शुरू किया। उसने और उसकी सहेलियों ने एक यूट्यूब और फेसबुक चैनल शुरू किया है, जिसका नाम है “ब्लॉकचैनकिड्स”।

उनका मिशन उद्यमिता, नेतृत्व और प्रौद्योगिकी पर अपने ज्ञान और शिक्षा का प्रसार करना है और अधिक से अधिक बच्चों को कार्यक्रम में जोड़ना है। उनकी टीम के पास अब एक विश्वास और एक सपना है।उनका सपना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा साइंस के साथ मिश्रित अपनी ब्लॉक चेन विकसित करना है। इस तकनीक पर निर्मित मोबाइल एप्लिकेशन उसकी प्रक्रिया में मदद करेगा। लाखों स्वयंसेवकों द्वारा ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी पर चल रहे मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से छवियां अपलोड की जाएंगी।छवि पहचान के साथ मिश्रित ब्लॉकचेन तकनीक बच्चों के माता-पिता को बच्चों के स्थान के बारे में सचेत करेगी।

शुरू से एक उद्देश्यपूर्ण ब्लॉकचेन तकनीक का निर्माण एक आसान काम नहीं है। यह सिर्फ एक मोबाइल एप्लिकेशन या सॉफ्टवेयर नहीं है। इसके लिए बहुआयामी विचार और अनुभव की आवश्यकता है। ब्लॉकचेन पर आधारित प्रणाली चलाने का मतलब है कि व्यक्ति के पास वितरित प्रौद्योगिकी की जटिलता के साथ-साथ अच्छा संगठनात्मक नेतृत्व, सामाजिक, तकनीकी, वित्तीय और आर्थिक कौशल होना चाहिए।

प्रेरक वक्ता बन चुकी है अंशु

अंशु की पहल कई युवा बच्चों को मोबाइल कंप्यूटर और टीवी जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का सही ढंग से उपयोग करने में मदद करने के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है। बच्चे अब इन चैनलों का उपयोग नोबेल विचारों को सीखने, नवाचार करने और फैलाने के उद्देश्य से कर रहे हैं। इस प्रयास ने उन्हें ब्लॉक चेन पर एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सार्वजनिक वक्ता और दिल्ली सरकार के लिए स्कूलों  में चल रहे EMC  उद्यमशीलता कार्यक्रम मे प्रेरक वक्ता बनने में मदद की है|

लॉन टेनिस खिलाड़ी भी है अंशु

अंशु गुरुग्राम के एक स्कूल में कक्षा 7 में पढ़ती है। अच्छे अकादमिक ट्रैक रिकॉर्ड के साथ, वह अपने स्कूल की एकल लॉन टेनिस खिलाड़ी भी  हैं और उन्होंने कई अखिल भारतीय टेनिस एसोसिएशन जूनियर स्तर के मैचों में भाग लिया है, वह एक ताइक्वांडो ब्लू बेल्ट और फुटबॉल खिलाड़ी भी हैं।

अब तक कई संस्थानों में टेक्नोलॉजी पर दे चुकी है सेशन

12 साल की उम्र में वह अब माइक्रोसॉफ्ट, सी # कॉर्नर, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, आईएमएस गाजियाबाद, कई  पब्लिक स्कूल और हरियाणा और दिल्ली सरकार के स्कूलों, कंपनियों, संस्थानों और कैंपस में   ब्लॉकचेन   और अनेकानेक टेक्नोलॉजी पर   सेशन देती है।

चंडीगढ़ विवि द्वारा दिया गया है "गेस्ट ऑफ ऑनर"

अंशु को हाल ही में चंडीगढ़ विश्वविद्यालय द्वारा "गेस्ट ऑफ ऑनर" दिया गया है और भविष्य की ऐसी जटिल तकनीक पर सबसे कम उम्र के स्पीकर में से एक होने के लिए उनके डिजिटल चैनल पर कई संस्थानों द्वारा सराहना और उल्लेख किया गया है।

इंजीनियर पिता हैं सबसे बड़े गाइड

वह कभी-कभी अपने पिता अंजनी कुमार जो कि एक इंजीनियर है, माँ सुचि कुमारी और उनकी ममेरी बहन वत्सला, जो एक लॉ स्टूडेंट है, के द्वारा सलाह लेती रहती  है।वो अंशु को बदलती दुनिया को समजह्ने मैं उसकी मदद कर रहें है | खास कर भविष्य की दुनिया कैसी होगी और बच्चो को उसके लिए किस तरह से तैयार रहना चाहिये |

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