PATNA : बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने नियोजित शिक्षको की लड़ाई आगे भी लड़ने का फैसला किया है। संघ के महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ विद्वान अधिवक्ताओं के द्वारा सलाह के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में पुर्नविचार याचिका 30 दिनों के अन्दर दायर करेगा।
उन्होंने कहा कि 10 मई को सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार सरकार को मनमानी करने, शिक्षकों का शोषण, उत्पीड़न, अपमान बदस्तूर जारी रखने एवं सबसे बढ़कर राज्य के करोड़ों छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की पूरी छूट दे दी है। न्यायमूर्तिद्वय अभय मनोहर सप्रे एवं उदय उमेश ललित ने कंडिका 78 एवं 80 में वेतन की विषमता को एक ओर स्वीकार किया है और कहा कि नियोजित शिक्षकों का वेतनमान चपरासी से भी कम है। इन्हें सम्मानजनक वेतनमान मिलना चाहिए लेकिन दूसरी ओर इसे लागू करने के लिए राज्य सरकार की कृपा पर छोड़ दिया है।
शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि सबसे आश्चर्यजनक एवं खतरनाक बात यह है कि अन्यायपूर्वक लागू वेतनमान तथा भारतीय संविधान के अनुच्छेद-23 शोषण के विरूद्ध अधिकार, अनुच्छेद-14 विधि के समक्ष समता के अधिकार, शिक्षक विरोधी नीतियां बदस्तूर जारी रखने वाली सरकार की इन नीतियों के बदलने में सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप करने में अपनी लाचारी व्यक्त कर संविधान के प्रति प्रतिबद्धता को भी स्वयं नकार दिया है। यह देश की लोकतांत्रिक, संवैधानिक संस्था पर खतरे के संकेत हैं।
शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ केन्द्र एवं राज्य सरकार की शिक्षक विरोधी साजिशों, तिकड़मों, प्रपंचों एवं दुश्मन जैसा व्यवहार करने के खिलाफ प्रभावकारी एवं निर्णायक संघर्ष की रणनीति पर विचार करने के लिए लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद मई के अंतिम सप्ताह में अपनी बैठक आयोजित करेगा।