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बिहार मा. शिक्षक संघ में विवाद, कनीय संयुक्त सचिव द्वारा अपने आपको प्रभारी महासचिव घोषित करने के बाद शुरू हुई लड़ाई

बिहार मा. शिक्षक संघ में विवाद, कनीय संयुक्त सचिव द्वारा अपने आपको प्रभारी महासचिव घोषित करने के बाद शुरू हुई लड़ाई

पटना: बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के सदस्य शिक्षकों व पदाधिकारियों ने संघ के अध्यक्ष व महासचिव से सवाल किया है कि आपकी नजरों के सामने बिहार के इतने पुराने एवं प्रतिष्ठित संगठन में अनियमितता और संघीय संविधान के साथ क्रूर मजाक हो रहा है और आप धृतराष्ट्र की तरह संघीय नियमावली का चीरहरण देख रहे हैं। 

मामला यह है कि 25 नवंबर को बिहार माध्यमिक राज्य संघ के कनीय संयुक्त सचिव विनय मोहन ने अपने हस्ताक्षर से तथा अपने को संघ का प्रभारी महासचिव घोषित करते हुए संघ के सभी प्रमंडलीय सचिव, जिला सचिव व मूल्यांकन सचिवों को संघ भवन में 29 नवंबर,2020 को आहूत बैठक की सूचना दी। अचानक इस पत्र के शिक्षकों के बीच वायरल होने से संघ के सदस्य शिक्षकों के बीच चर्चा का बाजार गरम हो गया और सबों ने तरह-तरह से अपना प्रतिकार करते हुए विरोध दर्ज किया।  


इसी संदर्भ में रविवार को राज्य भर के सदस्य शिक्षकों के रोष को इजहार करने हेतू संघ के कार्यालय (जमाल रोड पटना) में राज्य पार्षदों का एक प्रतिनिधिमंडल शैलेंद्र कुमार शर्मा (शैलू जी) के नेतृत्व में संघ के अध्यक्ष व महासचिव को ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल में सूर्यनारायण प्रसाद, संतोष कुमार, जयनंदन कुमार, अजय कुमार तिवारी, राकेश रंजन, जिला सचिव नालंदा देवनंदन प्रसाद शामिल थे। सभी का यही कहना है कि आखिर निर्वाचित महासचिव के रहते, महासचिव द्वारा अबतक पद त्याग करने व काम करने से असमर्थ होने की कोई सूचना नहीं होने तथा राज्य कार्यसमिति के निर्णय के बिना संघ के संविधान, विधान व नियमावली के विरुद्ध मनमाने ढ़ग से वरीय संयुक्त सचिव के रहते कनीय संयुक्त सचिव द्वारा अचानक अपने आपको प्रभारी महासचिव घोषित करना तथा संघ के अध्यक्ष सहित वरीय पदधारकों का इस विषय पर चुप्पी साधना गंभीर साजिश की ओर संकेत करता है। 

संघ के अध्यक्ष व महासचिव को सौंपे गए ज्ञापन में शिक्षकों ने आग्रह किया है कि वर्तमान समय में संघ में संविधान की मर्यादा पर जो प्रश्नचिन्ह खड़े हुए हैं उस पर अविलंब संज्ञान लेते हुए दोषी व्यक्ति या पदाधिकारी पर कठोरतम कार्रवाई करते हुए संघ के विधान व नियमावली को अक्षुण्ण रखी जाए अन्यथा शिक्षक सड़क से लेकर न्यायालय तक संघर्ष व लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।



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