PATNA:कोरोना संक्रमण रोकने को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन है।इस वजह से परदेस में कमाने गए बिहार के मजदूरों का सबसे बुरा हाल हुआ।सरकारी आंकडों पर विश्वास करें तो 1 लाख 80 हजार से अधिक लोग बिहार आ चुके हैं.लेकिन हकीकत यही है कि यह संख्या 2 लाख के पार है।
परदेस से आने वाले लोगों को गांव तक नहीं पहुंचने देने के लिए सरकार ने कई तरह की तैयारियां की थी।लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग की तमाम तैयारी धरी की धरी रह गई और बाहर से ऐसे लोग अपने-अपने घरों में पहुंच गए.सरकार का दावा है कि 26 हजार लोग सरकारी शिविर में कोरेंटाइन हैं.
आपदा प्रबंधन विभाग हुआ फेल!
अब तो आपदा प्रबंधन विभाग भी मानने लगा है कि राहत शिविरों में 26 हजार लोग हीं रह रहे हैं।आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ से बताया गया है कि सूबे के 3200 स्कूलों में 26000 हजार लोग ठहरे हुए हैं।विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि ये सभी दूसरे राज्यों से आए हुए लोग हैं जिन्हें ठहराया गया है।सभी को भोजन और आवासन की सुविधा दी जा रही है।आपदा प्रबंधन के प्रधान सचिव वे आज बताया कि जो लोग भी देश के दूसरे राज्यों से बिहार आए हैं उनसभी की स्क्रीनिंग और जांच की कार्रवाई कल से शुरू की जाएगी।
पंचायतों के सेंटर खाली
सरकार के इस आदेश के बाद आपदा प्रबंधन विभाग ने पंचायतों में व्यवस्था भी किया था।पंचायत भवन एवं अन्य स्कूलों में कोरेंटाइन सेंटर बनाए गए।कुछ कागजों पर तो कुछ धरातल पर बनाए गए।ताकि परदेस से लाए गए मजदूरों को 14 दिनों तक कोरेंटाइम में रखा जाए।लेकिन अधिकांश जगहों पर लोग कोरेंटाइम सेंटर में नहीं रह रहे।जो लोग भी बाहर से आए हैं वे बस से उतर घर चले गए।सरकार की तरफ से दावा किया जा रहा है कि 26 हजार लोगों को हम भोजन और आवासन की सुविधा दे रहे हैं।