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बिहार के करीब 300 थानाध्यक्ष-सर्किल इंस्पेक्टर हटेंगे, पाक-साफ दारोगा-इंस्पेक्टर की तलाश तेज

बिहार के करीब 300 थानाध्यक्ष-सर्किल इंस्पेक्टर हटेंगे, पाक-साफ दारोगा-इंस्पेक्टर की तलाश तेज

PATNA: बिहार में 15 अगस्त के पहले करीब 300 थानाध्यक्ष और अंचल इंस्पेक्टर हटेंगे।उनकी जगह नए पदाधिकारियों को तैनात किया जाएगा।थानेदारी के लिए पाक साफ दारोगा-इंस्पेक्टर की खोज की जा रही है।लेकिन खोजने के बाद भी बिना आरोप वाले इंस्पेक्टर और दारोगा नहीं मिल रहे।

15 अगस्त से लागू होना है नया आदेश

बिहार के सीएम नीतीश कुमार के आदेश पर गृह विभाग ने 15 अगस्त से बेदाग छवि वाले दारोगा-इंस्पेक्टर को हीं थाने की कमान सौंपने का आदेश जारी किया है।जिन अफसरों पर गंभीर आरोप हो या विभागीय कार्रवाई संचालित हो वैसे अधिकारियों को थानेदार के पद से हटाने का निर्देश है।गृह विभाग ने अपने आदेश में यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी मामले के आरोपी को थानेदार नहीं बनाया जाएगा।

 सभी थाने में थानाध्यक्ष के अलावे 2 अपर थानाध्यक्ष

बता दें कि इसी 15 अगस्त से बिहार के थानों में अनुसंधान विंग और विधि व्यवस्था विंग को अलग किया जा रहा है।दोनों विंग के लिए अलग-अलग अपर थानाध्यक्ष की तैनाती होगी।

15-20 फीसदी पुलिस अफसरों पर आरोप

बता दें कि बिहार में 1075 थाने एवं 225 ओपी हैं।जबकि बिहार में करीब 1400 इंस्पेक्टर और9000 दारोगा हैं।बिहार में अब थानाद्यक्ष के अलावे 2 अपर थानाध्यक्ष को मिलाकर करीब 3500 इसंपेक्टर-सब इंस्पेक्टर चाहिए।वर्तमान में इसंपेक्टर और दारोगा की जितनी संख्या बल है उसमें करीब 15-20 फीसदी कहीं न कहीं दागी हैं या उन पर कोई न कोई आरोप की जांच चल रही हो।

गंभीर आरोप के बाद भी थानेदार बने हैं कई अफसर

बता दें कि बिहार में अभी बड़ी संख्या में ऐसे थानेदार हैं जिनपर गंभीर आरोप हैं और विभागीय कार्रवाई चल रही है,फिर भी अपनी सेटिंग की वजह से मलाई वाले थाना में थानेदार के पद पर पदस्थापित हैं।सरकार के इस फरमान के बाद वैसे थानेदारों की नींद उड़ी हुई है।

अब नए अफसरों को मिलेगा मौका

जिलों में कई अफसर ऐसे हैं जिनपर आरोप होने के बाद भी थानेदार बने हैं उन्हें अब थानेदारी छोड़नी पड़ेगी।लिहाजा खाली जगह पर नए अफसरों की तैनाती होगी।सरकार के इस आदेश से भले हीं माफिया किस्म के थानेदार के सिर पर चिंता की लकीरें हों लेकिन बड़ी संख्या में वैसे पुलिस अधिकारी खुश हैं।उनकी खुशी की वजह यह है कि अब मजबूरी में हीं सही लेकिन थाना चलाने की जिम्मेवारी मिलने की संभावना बढ़ गई है।

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