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आधार वोट बैंक को दोयम दर्जे की हैसियत में लाना चाहती है यह बड़ी पार्टी, बेस वोट वर्ग वाले नेताओं को बताई जा रही औकात

आधार वोट बैंक को दोयम दर्जे की हैसियत में लाना चाहती है यह बड़ी पार्टी, बेस वोट वर्ग वाले नेताओं को बताई जा रही औकात

पटनाः बिहार का एक दल अब पूरी तरह से बदल गया है। पार्टी का चेहरा बदलने की रणनीति अब हर मंच और मोर्चे पर साफ-साफ दिखाई दे रहा है.पार्टी के अंदर ही अंदर यह कोशिश जारी है कि चेहरा बदलने का संदेश नीचे तक साफ-साफ चला जाये।इसीलिए यह रणनीति बनाई गई है कि चेहरा बदलने वाले निर्णय पर दो कदम आगे बढ़ा जाए और फिर सिर्फ एक कदम पीछे की तरफ खिसक लिया जाये.

चेहरा बदलने की अकुलाहट में पार्टी

 मतलब साफ है कि कछुआ चाल में नेतृत्व धीरे-धीरे इस योजना को अँजाम तक पहुंचाने में जुटी है। हालांकि इस निर्णय से पार्टी के शीर्ष नेताओं के भीतर डर भी है कि कहीं हम जिस बेस वोट बैंक पर खड़े हैं वह कहीं हाथ खींच न ले और बालू की तरह पार्टी भरभरा न जाये. लिहाजा पार्टी के नेता पहले तो चेहरा बदलने का मैसेज देते हैं लेकिन जब लगता है कि सर से पानी अधिक हो रहा है तो तुरंत डैमेज कंट्रोल की कोशिश में जुट जाते हैं. 

दो कदम आगे फिर एक कदम पीछे वाली रणनीति

अब जरा इस वाकये पर गौर कीजिए....कि कल जब एक बड़ी मीटिंग को लेकर दफ्तर में मंच सजा था तो सिरे से पार्टी का सिरमौर कहे जाने वाले वोट बैंक से किसी भी बड़े नेता को मंच पर जगह ही नहीं दी गई।अब भला सोंचिए कि जिस बेस वोट बैंक पर पार्टी आज तक खड़ी है उसी को दरकिनार करने का जबरदस्त खेल खेलते हुए संदेश देने की कोशिश में शीर्ष नेता लगे हुए हैं.जाहिर सी बात है कि इस तरह की मंशा पर बेस वोट बैंक कही जाने वाली जाति के नेताओं में खळबली मचना ही था। हुआ भी वही बैठक में हीं तरह-तरह की चर्चायें शुरू हो गई।इस सुगबुगाहट ने शीर्ष नेतृत्व को भी बेचैन कर दिया.फिर क्या था .....पार्टी ने अपनी रणनीति के तहत दो बढ़कर एक कदम पीछे खिसकते हुए अगले दिन की बैठक में बेस वोट बैंक के एक नेता को मंच पर जगह दे दी।ताकि सबसे पहले सवाल उठना ही बंद हो जाये.

दोयम दर्जे की हैसियत में लाने की कोशिश

लेकिन जानकार बताते हैं कि पार्टी नेतृत्व की मंशा अब आधार वोट बैंक को दोयम दर्जे की हैसियत में लाना है,यही वजह है कि प्रदेश स्तरीय बैठक में सवर्ण नेताओं को सीधे-सीधे उकी हैसियत बताई जा रही है. 

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