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बिहार में बड़े भाई की भूमिका को लेकर जेडीयू-बीजेपी में मची होड़, सदस्यता अभियान के बहाने ताकत दिखाने की कोशिश

बिहार में बड़े भाई की भूमिका को लेकर जेडीयू-बीजेपी में मची होड़, सदस्यता अभियान के बहाने ताकत दिखाने की कोशिश

पटनाः बिहार में बड़े भाई भूमिका में कौन है- जेडीयू या बीजेपी? लोकसभा चुनाव के बाद बिहार की दोनो सहयोगी पार्टियों में अंदर हीं अंदर बड़ा भाई दिखने की प्रतिस्पर्धा शुरू हो गयी है।जेडीयू अपने आप को 2005 से लेकर 2013 तक वाली भूमिका यानि बड़ा दिखाने की कोशिश मे जुटी है।पार्टी बिहार के अंदर अपने आप को बीजेपी से अधिक ताकतवार साबित करने में जुटी है।जेडीयू अपनी सहयोगी बीजेपी को मैसेज देने की कोशिश में है कि नीतीश कुमार के चाहने वालों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है। बिहार में सदस्यता अभियान के बहाने जेडीयू-बीजेपी अपने आप बड़ा साबित करने में लगीे है।जेडीयू ने जहां अपनी सदस्य संख्या को 50 लाख से उपर ले जाना चाहती है।वहीं  सहयोगी बीजेपी ने अपनी वर्तमान सदस्य संख्या करीब 57 लाख में 25 फीसदी नए सदस्यों को  जोड़ने का संकल्प लिया है।

सदस्यता अभियान के बहाने एक दूसरे से आगे बढ़ने की होड़

बिहार में एनडीए की दोनो सहयोगी पार्टी सदस्यता बढ़ाने को लेकर पूरी ताकत लगाए हैं।जेडीयू ने सदस्यता अभियान शुरू करने में बीजेपी से बाजी मार ली है।लोकसभा चुनाव रिजल्ट के ठीक बाद जदयू ने सदस्यता अभियान की शुरूआत कर दी है।पार्टी 8 जून से 5 जुलाई तक अभियान चला रही है। पार्टी के राष्ट्रीय अद्यक्ष एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में सदस्यता अभियान की शुरूआत हुई थी।तब प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा था कि इस अभियान में के बाद हमारी क्षमता 50 लाख से अधिक हो जाएगी।

जेडीयू का सदस्यता अभियान 5 जुलाई को खत्म हो रहा है उसके ठीक अगले दिन यानि 6 जुलाई से बीजेपी का सदस्यता अभियान शुरू होने वाला है।बीजेपी ने अपने इस अभियान को सदस्यता महापर्व-2019 नाम दिया है।इस अभियान में बीजेपी अपनी सहयोगी पार्टी के लक्ष्य को पार यानि करीब 57 लाख नए लोगों को जोड़ने का लक्ष्य रखा है।इसके लिए  नेतृत्व  ने सभी संगठन जिलाध्यक्षों को सवा -सवा लाख सदस्यों  को जोड़ने का निर्देश दिया है।

बीजेपी का नए वोटरों पर फोकस

बीजेपी एक बार फिर से नए वोटरों को पाले में करने की कोशिश में लगी है।लिहाजा केंद्रीय नेतृत्व ने कहा है कि आप जितने सदस्य बनाते हैं उनमें 25 फीसदी नए वोटर को पार्टी से जोडें।दरअसल इस बार के लोकसभा चुनाव में पार्टी की यह रणनीति काम कर गई थी।बड़ी संख्या में नए वोटर जो पहली दफा वोट कर रहे थे उन्होंने बीजेपी के पक्ष में मतदान किया था।इस बार भी बीजेपी नेतृत्व उनपर दांव लगा रही है।इसलिए पार्टी के नेताओं ने नए वोटरों को तलाशने और उन्हें पार्टी से जोड़ने की रणनीति पर काम करने का निर्देश दिया है।

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