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बिहार के सुशासन राज में जनता परेशान, न्याय नहीं मिलने पर CM आवास-पुलिस मुख्यालय के सामने आत्मदाह को मजबूर....

बिहार के सुशासन राज में जनता परेशान, न्याय नहीं मिलने पर CM आवास-पुलिस मुख्यालय के सामने आत्मदाह को मजबूर....

PATNA: राजधानी पटना में फरवरी महीने में हीं दो युवकों ने सरकारी सिस्टम और पुलिस के आतंक से तंग होकर आत्मदाह करने की कोशिश की है।पहली घटना 9 फऱवरी की है जब परेशान युवक ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास के सामने अपने शरीर में आग लगाकर आत्मदाह करने की कोशिश की।वहीं दूसरी घटना आज 20 फऱवरी को बिहार पुलिस मुख्यालय के सामने घटी,जब पुलिस की प्रताड़ना से तंग होकर फुलवारीशरीफ का युवक शरीर पर किरासन तेल छिड़डकर शरीर में आग लगा दिया।हालांकि दोनों युवकों को बचा लिया गया लेकिन बड़ा सवाल बिहार के सुशासन पर खड़ा हो रहा है।आखिर न्याय नहीं मिल रहा या फिर पुलिस की जांच एक तरफा हो रही तभी तो पीड़ित लोग इस तरह के कदम उठा रहे हैं।

हिंदूपुत्र संगठन के कार्यकर्ता ने की आत्मदाह की कोशिश

खबर के मुताबिक हिंदुपुत्र संगठन के कार्यकर्ताओं को फंसाने के विरोध में संगठन से जुड़ा एक शख्स राजीव ब्रह्मषि ने आत्मदाह का एलान किया था. बताया जाता है कि युवक ने फेसबुक पर लिखकर यह कहा था कि वो पटेल भवन के सामने आत्मदाह करेगा.इस बात की खबर पुलिस को पहले ही लग गई थी. पुलिस ने आत्मदाह की खबर को देखते हुए पूरे इलाके की सुरक्षा बढ़ा दी थी इसके साथ ही पुलिस मुख्यालय के सामने अग्निशमन और एम्बुलेंस तैनात कर दिया गया था.बावजूद इसके वह युवक पुलिस मुख्यालय पहुंच गया और अपने आप को आग के हवाले कर लिया।बड़ी मुश्किल से उक्त युवक के शरीर में लगी आग को बुझाया गया और उसे अस्पतला भेजा गया।

आत्मदाह करने वाले शख्स के साथ आए लोगों ने कहा कि फुलवारीशरीफ में पुलिस हिंदूओं को परेशान कर रही है।सीएए का पक्ष में उनलोगों ने रैली निकाली थी।उसके बाद पुलिस की प्रताडना बढ़ गई है और जबरन उनलोगों को जेल भेजा रहा है।

तब सीएम आवास के सामने लगा ली थी आग

9 फऱवरी 2020 को मुख्यमंत्री आवास के गेट नंबर एक के सामने हाजीपुर के जडुआ निवासी अभिजीत शर्मा ने आत्मदाह के लिए शरीर में आग लगा ली। सीएम सिक्योरिटी में लगे पुलिस कर्मियों ने आग पर काबू पाया और उसे गर्दनीबाग अस्पताल पहुंचा दिया।

घटना से हड़कंप मच गया और आनन-फानन में अधिकारियों की पूरी फौज इकट्ठा हो गई। जांच में पता चला कि अभिजीत अपनी मौसी कंकड़बाग निवासी अर्चना की डेंगू से मौत के बाद छह माह से न्याय की लड़ाई लड़ रहा था। पीड़ित ने अधिकारियों को बताया कि उसके पास कोई रास्ता नहीं बचा है। पटना मेडिकल कॉलेज और एक निजी अस्पताल की जांच रिपोर्ट को दिखाते हुए उसने व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया।पीड़ित ने कहा मुख्यमंत्री तक अपनी बात पहुंचाने के लिए आत्मदाह करने के अलावा मेरे पास कोई रास्ता नहीं दिख रहा था।

जस्टिस फॉर अर्चना
 मौसी की मौत के बाद अभिजीत ने जस्टिस फॉर अर्चना के नाम से मुहिम छेड़ दी। वह दोस्तों के साथ मिलकर न्याय के लिए दौड़ता रहा। इलाज में लापरवाही करने वालों पर कार्रवाई के साथ अर्चना के छोटे-छोटे बच्चों की मदद के लिए मुआवजे की मांग कर रहा था। वह काफी दौड़ा और धरना भी दिया, लेकिन अर्चना को न्याय नहीं मिल सका। वह दौड़कर थक गया था और मजबूर होकर आत्मदाह के लिए कदम बढ़ाया।

किसी ने नहीं सुनी फरियाद
 अभिजीत घटना के बाद पीरबहोर थाना पहुंचा तो दारोगा ने कहा जहां मच्छर काटा उस थाना में मुकदमा दर्ज होगा। वह गांधी मैदान थाना, पीएमसीएच टीओपी के बाद डीएम के पास गया। फिर चार दिन अनशन किया। बात नहीं सुनी गई तो डीजीपी के पास गया और फिर सीएम कार्यालय गया। सीएम को पत्र लिखा। डीएसपी के साथ वह पीएमसीएच के अधीक्षक तक से मिला लेकिन कहीं से न्याय नहीं मिला।


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