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CM नीतीश ने 15 सालों में सिर्फ 'तबादला' का उद्योग लगाया,जून में सुशासन बाबू की देख-रेख में सबसे बड़ा तबादला घोटाला

CM नीतीश ने 15 सालों में सिर्फ 'तबादला' का उद्योग लगाया,जून में सुशासन बाबू की देख-रेख में सबसे बड़ा तबादला घोटाला

PATNA: बिहार में सरकारी अधिकारियों का तबादला एक उद्योग का रूप ले चुका है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लाख दावे कर लें कि सूबे में सुशासन का राज है,लेकिन हकीकत यही है कि यहां भ्रष्टाचार पूरे शबाब पर है।जून महीने में सरकारी महकमें हुई नियम विरूद्ध तबादलों पर तेजस्वी ने नीतीश सरकार पर बड़ा हमला बोला है।तेजस्वी यादव ने बिहार में ट्रांसफर उद्योग को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सवाल खड़े किए हैं।तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा है कि 15 वर्षों में नीतीश कुमार और बीजेपी ने बिहार में एक सुई का भी कारख़ाना नहीं लगवाया,कोई इंडस्ट्री नहीं। लेकिन हाँ! तबादला उद्योग ज़रूर लगाया है। अभी जून महीने में सुशासन बाबू के आशीर्वचन और पावन सानिध्य में सबसे बड़ा तबादला घोटाला हुआ ताकि जनादेश अपमान की लाज रखी जा सके.

सुशासन राज में गैरों पर सितम अपनों पर रहम

बिहार में जेडीयू और बीजेपी की गठबंधन वाली सरकार है और एनडीए गठबंधन के नेता के रूप में नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री हैं। बिहार सरकार ने बीजेपी कोटे वाले विभाग में तबादले में हुई गड़बड़ी और लेन-देन की शिकायत के बाद सर्जिकल स्ट्राइक किया है.वहीं इसी तरह के आरोप में जेडीयू कोटे वाले विभाग पर सरकार ने चुप्पी साध ली है।जेडीयू कोटे वाले एक विभाग में हाल में हुए स्थानांतरण में भी नियमों को तार-तार किया गया और बड़े स्तर पर लेन-देन की बात सामने आई है। सरकार तक भी यह बात पहुंची है,लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी के खाते के परिवहन विभाग में नियमों का उलंघन कर हुए तबादले पर सरकार मौन है।अब बड़ा सवाल यही खड़ा हो गया है कि क्या बिहार की सरकार गैरों पर सितम और अपनों पर रहम वाली नीति पर चल रही है.आखिर बीजेपी कोटे के मंत्री रामनारायण मंडल द्वारा किए गए स्थानांतरण पर रोक और जेडीयू कोटे के मंत्री संतोष निराला द्वारा किए गए ट्रांसफर पर कार्रवाई क्यों नहीं ?  

बीजेपी कोटे वाले विभाग पर सर्जिकल स्ट्राइक

 मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश पर मुख्यसचिव ने एक झटके में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा अंचलाधिकारियों के स्थानांतरण आदेश पर रोक लगा दी है।मुख्य सचिव ने बताया है कि ट्रांसफर नियम की अनदेखी की गई है। लिहाजा इन तबादलों की संचिका को मुख्यमंत्री के पास समीक्षा के लिए भेजा जा रहा है.बता दें कि भूमि सुधार विभाग बीजेपी के कोटे में है और रामनारायण मंडल इस विभाग के मंत्री हैं।

मुख्य सचिव ने बीजेपी कोटे वाले विभाग की खोल दी है पोल

बता दें कि जून के अंतिम सप्ताह में राजस्व और भूमि सुधार विभाग में 400 अधिकारियों का तबादला भ्रष्टाचार और अनियमितता की शिकायत पर रोक दिया गया है. बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने अपने पत्र में कहा है कि राज्य एवं भूमि सुधार द्वारा अंचलाधिकारियों के तबादलों में बिहार कार्यपालिका नियमावली के नियमो का उल्लंघन प्रतीत होता है ,लिहाजा इन तबादलों की संचिका को मुख्यमंत्री के पास समीक्षा के लिए भेजा जा रहा है. विभाग के अधिकारियों का मानना हैं कि इस सूची में कई ग़लतियां और ख़ामियां हैं. जैसे कई ऐसे अधिकारियों का तबादला कर दिया गया जिन्होंने अपने जगह पर तीन साल का समय पूरा नहीं किया था.इसके अलावा जिन अधिकारियों का तबादला 27 जून को किया गया था तीन दिन बाद उसी सूची से आठ सीओ अधिकारियों का तबादला रद्द कर दिया गया.

परिवहन विभाग पर मेहरबानी क्यों?

बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने बीजेपी कोटे वाले भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग द्वारा किए गए तबादले पर रोक लगा दी है।जिस आरोप में अंचलाधिकारियों के तबादले पर रोक लगी है उसी तरह आरोप परिवहन विभाग द्वारा किए गए स्थानांंतरण में लगी है.जानकार बताते हैं कि परिवहन विभाग में डीटीओ और एमवीआई के स्थानांतरण में नियमों का पालन नहीं किया है।तीन साल के पहले ही कई अधिकारियों को हटा दिया गया ।साथ की कई को मनचाही पोस्टिंग दी गई और एक हफ्ते में ही एक एमवीआई को  2-2 बार स्थानांतरित किया गया।यह विभाग जेडीयू के खाते में है और जेडीयू के नेता संतोष निराला इस विभाग के मंत्री हैं।यह मामला भी मीडिया में सुर्खियां बनी है ।पूरे मसले पर पूरा विभाग बैकफूट पर है और कोई भी अधिकारी या मंत्री इस मसले पर बोलने को तैयार नहीं हैं।बड़ा सवाल यही खड़ा हो रहा है कि आखिर एक ही तरह के आरोप में बीजेपी कोटे वाले विभाग पर तो सरकार की तरफ से सर्जिकट स्ट्राइक कर दिया गया।लेकिन जेडीयू कोटे वाले विभाग पर इतनी मेहरबानी क्यों?

परिवहन विभाग में ट्रांसफर बना उद्योग

बता दें कि 30 जून की देर रात परिवहन विभाग में भी कई परिवहन पदाधिकारी और मोटर यान निरीक्षकों का ट्रांसफर किया गया है।परिवहन विभाग की तरफ से किए गए ट्रांसफर पर भी गंभीर सवाल उठे हैं.बिना टर्म पूरा हुए ही कई डीटीओ और एमवीआई का ट्रांसफर कर दिया गया।साथ ही खास एमवीआई को खास जगह पर पोस्टिंग के लिए परिवहन विभाग ने अपनी ही आदेश को बदल दिया। 

परिवहन विभाग में खास का खेल

परिवहन विभाग में जून महीने में दो लॉट में तबादले किए गए हैं।पहला स्थानांतरण आर्डर 20 जून को जारी हुआ जबकि दूसरा आदेश 30 जून को। 20 जून को परिवहन विभाग ने 10 मोटरयान निरीक्षकों का  ट्रांसफर किया जबकि 3 एमवीआई को अतिरिक्त प्रभार दिया गया। यानि कुल 13 एमवीआई को लेकर आदेश जारी किया गया।इसमें कई एमवीआई को समय से पहले इधर से उधर कर दिया गया।उसके बाद एक बार फिर से 30 जून को 4 एमवीआई का स्थानांतरण आदेश जारी किया गया है।इस स्थानांतरण आदेश में वे मोटरयान निरीक्षक भी हैं जिन्हें 20 जून को ट्रांसफऱ किया गया था।मंगलवार को जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि 20 जून के आदेश में आंशिक संशोधन किया गया है और इन एमवीआई को अब इन जिलों में पदस्थापित किया जाता है।हालांकि आंशिक संशोधन किस वजह से किए गए हैं इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।

जानिए क्यों उठ रहे सवाल

बता दें कि परिवहन विभाग ने 20 जून के अपने स्थानांतरण आदेश में समस्तीपुर में पदस्थापित एमवीआई राकेश रंजन को गोपालगंज ट्रांसफर किया था।लेकिन ये साहब वहां नहीं गए।परिवहन विभाग ने अब उन्हें नए जिला में पदस्थापित किया है,साथ ही एक जिला गिफ्ट में भी दे दिया।यानि अब वे 2 जिलों का काम संभालेंगे।विभाग की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि राकेश रंजन अब गोपालगंज नहीं बल्कि रोहतास में पदस्थापित होंगे,साथ ही बक्सर जिला इनके अतिरिक्त प्रभार में रहेगा।वहीं रोहतास में पदस्थापित किए गए सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी को भी मनचाही पोस्टिंग दी गई।दूसरे आदेश में इन्हें वहां से हटाकर समस्तीपुर में पदस्थापित किया गया।जानकार बताते हैं कि इसके पीछे का खेल बहुत बड़ा है।इस खेल का लिंक ऊपर तक सीधा जुड़ा है।इसी वजह से खास एमवीआई को यह सुविधा दी गई है। वहीं विनोद कुमार को पटना में पदस्थापित किया गया जबकि सुनील कुमार सिंह को गोपालगंज का अतिरिक्त प्रभार दिया गया। परिवहन विभाग के इस आदेश में ही अघोषित जवाब है कि आखिर राकेश रंजन को गोपालगंज क्यों नहीं रखा गया...। गोपालंगज में एमवीआई की पदस्थापन नहीं की गई बल्कि अतिरिक्त प्रभार दिया गया है.

आदेश बदलने के मायने क्या हैं?

हालांकि परिवहन विभाग में इस तरह का खेल कोई नई बात नहीं।पहले भी इस तरह के खेल होते रहे हैं।लेकिन इस बार जिस तरीके से परिवन विभाग ने अपने आदेश में बदलाव किया है उससे अब यह सवाल उठा कि आखिर क्या मजबूरी रही कि गोपालगंज भेजे गए एमवीआई को अब दूसरा जिला दिया गया,साथ ही एक जिला अतिरिक्त भी गिफ्ट में दिया गया।आखिर गोपालगंज जाने में एमवीआई की क्या मजबूरी थी?क्या परिवहन विभाग किसी एमवीआई की मर्जी से चलती है? क्या विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग में बड़े स्तर पर खेल होता है?आखिर एमवीआई पर विभाग इतना मेहरबान क्यों है? इसका जवाब परिवहन विभाग के मंत्री को देना चाहिए?परिवहन  विभाग द्वारा मोटर यान निरीक्षकों के किए गए ट्रांसफर पर अब गंभीर सवाल खड़े हुए हैं।आखिर ऐसा क्यों किया गया इसका जवाब किसी के पास नहीं है।


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