पटना। बिहार विधानसभा के बजट सत्र के सातवें दिन की शुरूआत प्रदेश में आईएएस अधिकारियों की कमी को लेकर की गई। एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमाम ने सदन को बताया कि बिहार में आईएएस अफसरों के 40 फीसदी पद खाली हैं। उन्होंने कि एक तरफ कहा जाता है कि बिहार में डबल इंजन की सरकार है, वहीं दूसरी तरफ केंद्र बिहार के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। उन्होंने सरकार से पूछा है कि आखिर इन खाली पदों को भरने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है।
सोमवार को सदन की कार्रवाई शुरु होते ही अख्तरूल इमाम ने आईएएस अफसरों के खाली पद को लेकर बताया कि बिहार में 349 आईएएस अफसर के पद हैं, जिनमें सिर्फ 202 पदों पर ही नियुक्ति है, जबकि लगभग 40 फीसदी पोस्ट रिक्त हैं। उन्होंने बिहार की तुलना तमिलनाडू और पश्चिम बंगाल से करते हुए बताया कि वहां बिहार की तुलना में बेहतर स्थिति है। तमिलनाडू में 376 आईएएस के पोस्ट हैं, जिनमें 300 लोगों की नियुक्ति की गई है। जबकि पश्चिम बंगाल में 389 में 307 पद पर अधिकारी नियुक्त हैं, लेकिन बिहार को केंद्र सरकार का समर्थन मिलने के बाद पूरे पदों पर नियुक्ति नहीं हो सकी है।
एक एक अधिकारी पर कई विभागों की जिम्मेदारी
अख्तरुल इमाम में बताया कि बिहार में आईएएस अधिकारियों की कमी के कारण एक एक सचिव पर 10-12 विभागों की जिम्मेदारी है। जिसके कारण कई महत्वपूर्ण काम समय पर पूरा नहीं हो पा रहे हैं।11अधिकारी इस साल भी रिटायर हो जाएंगे। जिसके बाद समस्या और बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि बिहार के तेजी से विकास के लिए जरुरी है कि बिहार के कैडर के सभी पदों पर नियुक्ति की जाए। जिसके लिए सरकार को जरुरी कदम उठाने होंगे।
मंत्री जी कहा - केंद्र से की गई है मांग
मामले में सदन को जवाब देते हुए सामान्य प्रशासन मंत्री ने सदन को बताया कि केंद्र सरकार को इस संबंध में पत्र लिखा गया है। रिक्त पदों की कारणों को लेकर उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि हमारे पास 54 पदाधिकारियों की कमी है, वहीं 31 पदाधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए हैं। 2020 सिविल सेवा के परीक्षा के आधार पर 54 अधिकारियों को बिहार में आमंत्रित किया गया ,इसके अतिरिक्त केंद्रीय प्रोन्नति के अनुसार 2018 में 22, 2019 में 15 तथा 2020 में 16 पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई प्रकियाधीन है। जिसके बाद सभी पदों पर नियुक्ति संभव है