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बिहार एमएलसी चुनाव : फायदे में भाजपा... जदयू ने गंवाई एक सीट, राजद का नहीं खुला खाता, पीके का सबसे बड़ा करिश्मा

बिहार एमएलसी चुनाव : फायदे में भाजपा... जदयू ने गंवाई एक सीट, राजद का नहीं खुला खाता, पीके का सबसे बड़ा करिश्मा

पटना. बिहार में पांच सीटों के लिए हुए एमएलसी चुनाव में सत्ताधारी महागठबंधन को झटका लगा है. वहीं मुख्य विपक्षी दल भाजपा बड़े फायदे में रही है जबकि सबसे बड़ा करिश्मा प्रशांत किशोर ने किया है. शिक्षक और स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों के इस चुनाव में अब तक जदयू के खाते में तीन एमएलसी सीट थी जबकि एक सीट सीपीएम के पास थी. वहीं भाजपा के पास सिर्फ एक सीट गया स्नातक निर्वाचन की थी. 24 घंटों से ज्यादा समय तक चली मतगणना के बाद भाजपा ने दो सीटों पर जीत हासिल करने में सफलता पा ली. वहीं पीके यानी प्रशांत किशोर की जन सुराज समर्थित एक उम्मीदवार ने जीत हासिल कर ली. इन सबमे जदयू सिर्फ दो सीट ही बचा पाई जबकि राजद का खाता भी नहीं खुला. 

कोशी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र और सारण स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से क्रमशः जदयू के डॉ संजीव कुमार और डॉ वीरेंद्र  नारायण यादव जीत हासिल कर अपनी सीटें बचाने में सफल रहे. वहीं सारण शिक्षक निर्वाचन सीट के उपचुनाव में महागठबंधन समर्थित सीपीएम उम्मीदवार आनंद पुष्कर को हार का सामना करना पड़ा है. उन्हें प्रशांत किशोर के संगठन जन सुराज समर्थित उम्मीदवार अफाक अहमद ने हराया. इस तरह बिहार में राजनीतिक पारी शुरू करने के पीके के सपने को सारण में सफलता मिली है. 

वहीं गया शिक्षक और स्नातक निर्वाचन सीटों के चुनाव में दोनों जगहों पर भाजपा को सफलता मिली है. भाजपा के जीवन कुमार ने गया शिक्षक निर्वाचन सीट पर जीत हासिल की. यहां पहले जदयू के संजीव श्याम एमएलसी थे. वे इस बार अपनी सीट नहीं बचा सके. वहीं अवधेश नारायण सिंह लगातार छठी बार एमएलसी चुनाव जीतकर गया स्नातक निर्वाचन सीट पर फिर से कमल खिलाने में सफल रहे. इस तरह भाजपा जो चुनाव के पहले तक सिर्फ एक सीट को खाते में रखी थी उसे अब गया में दोनों सीटों पर सफलता मिली. अवधेश नारायण सिंह ने राजद के पुनीत कुमार सिंह को हराया है. पुनीत राजद के बिहार प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे हैं. ऐसे में इस प्रतिष्ठा की सीट पर राजद को मिली हार एक बड़ा झटका है. 

वहीं पांच सीटों के चुनाव परिणाम में पीके के उम्मीदवार अफाक ने सारण शिक्षक सीट पर जिस तरह की सफलता हासिल की वह बिहार में उनकी राजनीतिक शुरुआत की बड़ी सफलता है. चुकी महागठबंधन के सातों दलों ने एक साथ अपने समर्थत उम्मीदवारों को साथ दिया था तो ऐसे में तीन सीटों पर हार मिलना सत्ताधारी नीतीश कुमार की सरकार के लिए बड़ा झटका भी है. एक साथ सात दल रहकर भी न तो अपनी सभी सीटें बचा सके और ना ही भाजपा और पीके के विस्तार को रोक पाए. 


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