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बिहार NDA के नेताओं की पीएम मोदी से गुहार, लाल बहादुर शास्त्री की मौत की गुत्थी सुलझाए सरकार

बिहार NDA के नेताओं की पीएम मोदी से गुहार, लाल बहादुर शास्त्री की मौत की गुत्थी सुलझाए सरकार

PATNA :  बिहार एनडीए के नेताओं ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमय मौत की गुत्थी सुलझाने की मांग की है। भाजपा के राज्यसभा सांसद आर के सिन्हा, विधान पार्षद संजय पासवान और जदयू के विधान पार्षद रणवीर नंदन ने यह मांग उठायी है। इन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस घटना की नये सिरे से जांच की मांग की है। एनडीए के नेताओं ने ये मांग तब की जब पटना में अनुज धर की किताब ‘योर प्राइम मिनिस्टर इज डेड’ का लोकार्पण किया गया। इस किताब में कई प्रमाणों के आधार पर शास्त्री जी की मौत को रहस्यमय बताया गया है। शास्त्री जी की मौत पर इसके पहले कोई किताब भारत में नहीं लिखी गयी है।

‘योर प्राइम मिनिस्टर इज डेड’ में बहुत कुछ सनसनीखेज

‘योर प्राइम मिनिस्टर इज डेड’ में तथ्यों के आधार पर इस घटना को डेथ मिस्ट्री बताया गया है। अनुज धर ने किताब में बताया है कि इस घटना में तत्कालीन सोवियत संघ (रूस), अमेरिका के CIA  और पाकिस्तान की भूमिका शक के घेरे में है। फॉरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर शास्त्री जी की मौत को अननेचुरल बताया गया है। भारत सरकार के दस्तावेजों के हिसाब से शास्त्री जी की मौत हर्ट अटैक से हुई थी। जब कि उनके परिजनों ने आरोप लगा था कि उनकी मौत जहर देने से हुई थी। अनुज धर पूर्व प्रत्रकार हैं । नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के जीवन पर लिखी कई किताबों की वजह से वे देश के चर्चित लेखक हैं। 

सूचना के अधिकार कानून के तहत भी नहीं मिली जानकारी

अनुज धर ने 2009 में सूचना के अधिकार कानून के तहत प्रधानमंत्री कार्यालय से शास्त्री की मौत से संबंधित दस्तावेज  मांगे थे। पीएमओ ने इस जानकारी को कूटनीतिक कारणों के आधार पर देने से मना कर दिया था। अनुझ धर को पीएमओ ने बताया था कि अगर ये जानकारी सार्वजनिक की गयी तो भारत का अंतर्राष्ट्रीय संबंध खराब हो सकता है। देश में भी उथल-पुथल मच सकती है। इससे जुड़े दस्तावेज अगर दिये गये तो संसदीय विशेषाधिकारों को भी ठेस पहुंचेगी। 

11 जनवरी 1966 को तास्कंद में हुई थी शास्त्री जी की मौत

1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था। इस युद्ध में पाकिस्तान की हार हुई थी। भारत ने पाकिस्तान के बहुत बड़े भूभाग को जीत लिया था। युद्ध विराम के लिए तत्कालीन सोवियत संघ के ताशकंद ( अब उजबेकिस्तान की राजधानी) शहर में एक समझौता हुआ था। सोवियत संघ की मध्यस्थता में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने 11 जनवरी 1966 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। इसे ताशकंद समझौता के नाम से जाना जाता है। इसी रात ताशकंद में शास्त्री जी की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गयी थी। इस समझौते में दोनों देशों को एक दूसरे के जीते हुए प्रदेश वापस करने की बात थी। इस युद्ध में भारत की जीत हुई थी। भारत ने पाकिस्तान का बहुत भूभाग जीत लिया था। शास्त्री जी जीते हुए भूभाग को बिना देश की मंजूरी के लौटाना नहीं चाहते थे। कहा जाता है कि विदेशी दवाब में शास्त्री को इस समझौता पर हस्ताक्षर करने पड़े थे।

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