KAIMUR: एक तरफ कोरोना महामारी से देश परेशान हैं और सरकार सभी अस्पतालों को दुरुस्त करने में जुटी है। दूसरी तरफ कैमूर के कबार गांव में 60 लाख की लागत से बना अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बदहाल है। यहां का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अपनी हालत पर आंसू बहा रहा है। ग्रामीणों ने इसपर कब्जा कर इसे तबेले में बदल दिया है।
ऐसे गांव में एक और अस्पताल है, जहां डॉक्टर कभी कभार आते हैं। सप्ताह में एक बार टीकाकरण के लिए एएनएम आती है। ग्रामीण चाहते थे कि गांव मे अस्पताल खुल जाए जिससे इलाज के लिए भभुआ नहीं जाना पड़े। स्वास्थ्य विभाग भी बताने को तैयार नहीं है कि लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी अस्पताल में डॉक्टर कब आएंगे। अस्पताल का भवन बनने से ग्रामीणों को खुशी तो हुई, मगर 30 साल बीतने पर भी ना डॉक्टर आए ना ही दवा। गांव के विकास मित्र ने बताया कि 30 वर्ष पहले कबार गांव मे अस्पताल बनना शुरू हुआ था। हालांकि आज तक अस्पताल में कोई काम नहीं हुआ। इसलिए जिला परिषद ने भी अपने फंड से एक और भवन दिया पर स्वास्थ्य विभाग ने आज तक पहल नहीं किया। जब कि कई बार अधिकारी को सूचना दिया गया पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
प्रभारी सिविल सर्जन डॉ मीना कुमारी ने बताया कि मुझे अस्पताल के ऐसे हालात के बारे में जानकारी नहीं है। कोरोना के चलते व्यस्तता है मामला कम पड़ते ही तुरंत उसको दिखवाएंगे। जो नई बिल्डिंग बना है, डॉक्टर और एएनएम नहीं जा रही है तो उसको चालू करवाया जाएगा। डॉ मीना कुमारी ने खुद जांच कराने की बात कही है।