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BIHAR NEWS: डीएम के आदेशानुसार निजी अस्पताल पर होगी कार्रवाई, कोरोना काल में दोगुनी राशि वसूलने का आरोप

BIHAR NEWS: डीएम के आदेशानुसार निजी अस्पताल पर होगी कार्रवाई, कोरोना काल में दोगुनी राशि वसूलने का आरोप

DARBHANGA: कोरोना महामारी के दूसरी लहर के दौरान बिहार में पारस अस्पताल के ऊपर गाज गिरी हुई है। सबसे पहले पटना के मशहूर और नामी पारस अस्पताल पर कई बड़े संगीन और सनसनीखेज आरोप लगे। जिसके बाद अस्पताल को बैन करने की मांग तक की गई। इसके बाद दरभंगा के पारस ग्लोबल अस्पताल पर खुद जिलाधिकारी ने कार्रवाई करने का मन बना लिया है। इस अस्पताल पर कोरोना काल में निर्धारित राशि से ज्यादा दोगुनी राशि वसूल करने का आरोप लगा है।

इस अस्पातल की जांच के लिए डाएम द्वारा जांच कमिटी गठित की गई थी। मालूम हुआ कि पारस ग्लोबल अस्पताल में मृतक दिलीप सिंह, 21 मई 2021 को भर्ती हुए थे। 29 मई 2021 तक कुल 9 दिनों तक उनका इलाज पारस अस्पताल द्वारा किया गया। मरीज की मृत्यु 29-30  मई की मध्यरात्रि 12:58 बजे हुई थी। बावजूद इसके 30 मई को भी अस्पताल द्वारा मरीज के जीवित बता कर विभिन्न तरह की दवा उपचार के लिए देना दिखलाया गया है। इस संबंध में मृतक के पिता अजीत कुमार सिंह द्वारा परिवाद पत्र दायर किया गया था। परिवाद की जांच के लिए जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एस.एम द्वारा अपर समाहर्ता की अध्यक्षता में अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी दरभंगा एवं सहायक निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण के साथ तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया था।

जांच कमेटी द्वारा अपने जांच प्रतिवेदन में बताया गया है कि पारस ग्लोबल अस्पताल द्वारा मरीज का इलाज कोविड-19 के दिशा निर्देश के अनुसार नहीं किया गया है। इसके अलावा अत्यधिक अनावश्यक दवाएं मरीज को दी गई। अस्पताल द्वारा मरीज की मृत्यु हो जाने के उपरांत भी 30 मई को दवा देने का खर्च जोड़ा गया है। अस्पताल द्वारा दो तरह का विपत्र बनाया गया औपबंधिक विपत्र एवं अंतिम विपत्र। औपबंधिक विपत्र 2 लाख 97 हजार 100 रुपये का एवं अंतिम विपत्र 2 लाख 30 हजार 500 रुपये का मृतक के संबंधी को दिया गया। अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि अस्पताल में भर्ती के दौरान मरीज का कोविड का एंटीजन या आरटीपीसीआर जांच नहीं की गई। लेकिन, अनेक प्रकार के हायर एंटीबायोटिक और एंटीफंगल दवा दी गई। वह भी बिना किसी सिम्टम्स के 29 मई को 7:33 बजे रात्रि में एंटीभाइरल ड्रग रेमडेसीविर भी दिया गया। कुछ वैसे भी दवाओं का विपत्र में चार्ज किया गया है जो दवा अस्पताल के अभिलेख में है हीं नहीं। बताया गया कि मरीज 3 दिन ही वेंटिलेटर पर था लेकिन 9 दिनों का चार्ज लिया गया।

इसके अलावा पीपीई किट्स, फेस मस्क एन-95, ग्लव्स, फेस शील्ड, डिस्पोजेबल सिरिंच का चार्ज प्रतिदिन दर्शाया गया है। जांच समिति द्वारा बताया गया है कि सरकार द्वारा कोविड-19 के इलाज के लिए निर्धारित दर के अनुसार अस्पताल का विपत्र 1 लाख 18 हजार रुपये का होता है। लेकिन, पारस अस्पताल प्रबंधन द्वारा मरीज के परिजन से 2 लाख 30 हजार रुपये वसूल किया गया। इस प्रकार 1लाख 12 हजार रुपये मृतक के परिजन से अधिक वसूली गई है। जांच कमेटी को मृतक के पिता अजित सिंह ने बताया कि पारस अस्पताल द्वारा न केवल अधिक राशि का विपत्र दिया गया बल्कि राशि चुकाने हेतु उनके साथ अभद्र व्यवहार भी किया गया। जांच कमेटी द्वारा अपने अंतिम जांच प्रतिवेदन में पारस ग्लोबल अस्पताल प्रबंधन से 1 लाख 12 हजार रुपये की वसूली करने व उसके विरुद्ध अनुशासनिक एवं विधिसम्मत कार्रवाई करने की अनुशंसा जिलाधिकारी से की गई है।

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