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BIHAR NEWS: संपूर्ण क्रांति के बाद सरकारें तो बदलीं लेकिन व्यवस्था नहीं बदली- जेपी सेनानी राजेश सिंह

BIHAR NEWS: संपूर्ण क्रांति के बाद सरकारें तो बदलीं लेकिन व्यवस्था नहीं बदली- जेपी सेनानी राजेश सिंह

JAMUI: संपूर्ण क्रांति दिवस के मौके पर जेपी सेनानी राजेश सिंह ने कहा कि संपूर्ण क्रांति के बाद देश के कई राज्यों में सरकारें तो बदली लेकिन व्यवस्था नहीं बदली। उन्होंने कहा कि 'संपूर्ण क्रांति अब नारा है भावी इतिहास तुम्हारा है'.. ये नारा परिवर्तन के प्रतीक हैं और 1974 के व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई के 'मंगलगीत' हैं। देश के करोड़ों युवाओं के ओठों पर जब बजी थी तब लाख अवरोधों के वाद भी तीन वर्षों के कंटीले संघर्ष से 1977 में केन्द्र की सत्ता उखड़ गई। उन्होंने कहा कि देश की राजनीति में बड़ा बदलाव आया, केन्द्र से लेकर राज्यों तक कांग्रेस विरोध की सरकारें स्थापित हुई। कुछ अंतराल आये गये लेकिन 77 से अबतक केन्द्र एवं राज्यों की सत्ता बागडोर जेपी अनुआयियों के हाथों ही रही है लेकिन व्यवस्था परिवर्तन नहीं हुए।

उन्होंने कहा कि कुछ राज्य ही अपवाद रहे जहां कुछ सुधार हुए किन्तु समस्याएं धरी पड़ी है। उन्होंने "संपूर्ण क्रांति दिवस" पर वो सभी देशभक्तों से राजनीतिज्ञों समाज सेवकों और शासकों से अपील किया कि जेपी के नेतृत्व में 74 का आंदोलन जिन मुद्दों पर हुए आज तक पूरे नहीं हुए। जेपी आंदोलन आज भी प्रासंगिक है? विदित हो कि 5 जून 1974 को पटना के एतिहासिक गांधी मैदान में विश्व की सवसे बड़ी जनसभा को संबोधित करते हुए जेपी ने "संपूर्ण क्रांति" की घोषणा की थी जिसमें सात क्रांतियों यथा राजनैतिक, आर्थिक, समाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक और आध्यात्मिक क्रांति को जोड़कर 'संपूर्ण क्रांति' का नाम दिया और देश के युवाओं एवं आम जनता से जुड़े ज्वलंत मुद्दों में गुणात्मक बदलाव लाने की मांग की गई थी।

जेपी सेनानी ने कहा कि क्या उसे पूरा किया जा सका है? ऐसा करके जेपी को सम्मान दिया जा सका है? म॔हगाई की मार से देश की जनता कराह रही है, खाद्य पदार्थो एवं जीवन उपपयोग की सभी वस्तुएं तथा डीजल पेट्रोल की कीमतें आसमान चढ़ी है, मूल्य निर्धारण और नियंत्रण किसके अधीन है? भ्रष्टाचार के दंश से आमलोग तवाह हैं,किसान बेवस है,मजदूर परेशान है,बेरोजगारी बढ़ी है जिसमें शिक्षित अशिक्षित युवा वर्ग हताश हैं। उन्होंने कहा कि जेपी चाहते थे कि देश में चल रही शिक्षा पद्धति मैकाले की है जो बहुत महंगी है इसमें बदलाव लाकर शिक्षा को रोजगारमुखी बनाया जाय ऐसा हो सका है? देश की खर्चीली चुनाव पद्धति और राजनीति का रंगीन प्रदर्शन देश को बर्बाद कर रहा है? जेपी इन्हीं सब जकड़नों को तोड़कर व्यवस्था को जन सुलभ बनाना चाहते थे क्या उसे पूरा किया जा सका है नही?

उन्होंने कहा कि जेपी आंदोलन आज भी प्रासंगिक हैं। ध्यान रहे भारत की मिट्टी में वो तासीर है जो समय पर अंगड़ाई भी लेती है करवटें भी बदलती है तब सब कुछ बदल कर रख देती हैं। उन्होंने कहा कि जनभावना का आदर हो, ज्वलंत समस्याओं का समाधान हो और सभी व्यवस्था जनसुलभ हो। अंत में उन्होंने कहा कि "सच कहना अगर बगावत है, तो समझो हम भी बागी हैं"

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