पटना: भाजपा के विधान पार्षद संजय पासवान ने विधान परिषद की समिति के सभापति पद से त्यागपत्र दे दिया है। पासवान ने सभापति से फैसले को लेकर नाराजगी भी जाहिर की है। बता दें कि संजय पासवान सीएम नीतीश कुमार का भी यह कह कर विरोध कर चुके हैं कि सूबे की जनता एक चेहरे से ऊब चुकी है, अब बीजेपी से नया मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। संजय पासवान सूबे में शराबबंदी व कानून-व्यवस्था को लेकर काफी मुखर रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजय पासवान ने परिषद की अनुसूचित जाति-जनजाति समिति के सभापति पद से इस्तीफा दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह को सौंपा। ज्ञात हो कि कार्यकारी सभापति भी बीजेपी के ही हैं। पांच दिन पहले डॉ. पासवान को इस समिति का सभापति बनाया गया था। गुरुवार को नवगठित समितियों की पहली बैठक बुलाई गई थी। बैठक में शामिल होने के तुरंत बाद वे नाराज होकर निकल गए। निकलने के समय ही उन्होंने सभापति पद से इस्तीफे की घोषणा की थी। शुक्रवार को उन्होंने विधिवत इस्तीफा दे दिया।
कई मसलों पर जतायी नाराजगी
एक मीडिया हाउस के साथ बात करते हुए डॉ पासवान ने कहा कि कई मसलों पर उनको एतराज है। उन्होंने करीब दस साल पहले यह घोषणा की थी कि वे विधानसभा या लोकसभा का चुनाव अनुसूचित जातियों के लिए सुरक्षित सीट से नहीं लड़ेंगे। कई चुनाव हुए लेकिन वे अपनी घोषणा पर कायम रहे। इसी तर्क के आधार पर उन्होंने परिषद की अनुसूचित जाति, जनजाति समिति के सभापति पद से इस्तीफा दिया। क्योंकि, उन्हें अनुसूचित जाति का होने के कारण यह पद दिया गया था। उन्होंने कहा कि जाति और लिंग के आधार पर समितियों का सभापति बनाना गलत है। हम कहते हैं कि अगर कोई पुरुष सदस्य सक्षम है तो उसे महिलाओं से संबंधित समितियों का सभापति बना देना चाहिए।
ज्ञात हो कि बीजेपी के बड़े चेहरे में शामिल संजय पासवान केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं। बीजेपी में रहते हुए भी वह एनडीए के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार पर हमलावर होते रहे हैं। गत फरवरी में उन्होंने शराबबंदी के साथ-साथ कानून-व्यवस्था की सिथति लेकर गृह सचिव आमिर सुभानी को इस्तीफा देने के लिए कह डाला था। उन्होंने कहा था कि बिहार में शराबबंदी कानून की समीक्षा कर इसपर सरकार को फिर से सोचना चाहिए। संजय पासवान का उक्त बयान मुख्समंत्री नीतीश कुमार पर हमला माना गया था, क्योंकि शराबंदी उनकी ड्रीम प्रोजेक्ट है और कानून-व्यवस्था के लिए जिम्मेदार राज्य का गृह विभाग भी उन्होंने अपने पास ही रखा है।