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गांव के लिए चचरी पुल ही एकमात्र सहारा, ट्रैक्टर ने इसे भी ध्वस्त कर दिया, लोगों ने कहा - इसलिए ही एशिया के पिछड़े जिले में शामिल

गांव के लिए चचरी पुल ही एकमात्र सहारा,  ट्रैक्टर ने इसे भी ध्वस्त कर दिया, लोगों ने कहा - इसलिए ही एशिया के पिछड़े जिले में शामिल

KISHANGANJ :  जिले से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है। जो यहां के विकास की असली हकीकत को बयां कर रही है। तस्वीर तस्वीर टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र के सुहिया की गांव है, जहां मुख्य सड़क को जोडने के लिए नदी पर बना एकमात्र चचरी पुल टूट गया। पुल टूटने के बाद अब इस गांव का संपर्क पूरी तरह से टूट गया है। जिसको लेकर गांव के लोगों की परेशानी बढ़ गई है।

दरअसल, इस चचरी पुल को लोगों ने पैदल आने जाने के लिए तैयार किया था, लेकिन इस पुल पर बीते शनिवार को भारी भरकम ट्रैक्टर गुजर रहा था. बांस के पाए के सहारे खड़ा यह चचरी पुल गाड़ी का भारी वजन सहन नहीं कर सका और एक तरफ टूट गया। वहीं गाड़ी भी पुल पर फंस गई। पुल पर ट्रैक्टर के फंसे होने के कारण न सिर्फ मुख्य सड़क से संपर्क टूट गया, बल्कि पुल को नुकसान पहुंच गया। जिस कारण गांव के लोगों का आवाजाही बाधित है ग्रामीण जेसीबी मशीन से इसे निकलने में लगे है।

सबसे पिछड़ा जिला है किशनगंज

 प्रखंड क्षेत्र की यह एक तस्वीर यहाँ की विकास की दावों की पोल खोल रहे है विधायक और सांसद की काम काज की तरीके की हकीकत को बता रहे है। शायद यही कारण है कि इस प्रखंड को एशिया का पिछड़े इलाकों में सुमार किया जाता है यही ग्राम पंचायत चिलहनिया के उपमुखिया आनन्द कुमार ठाकुर ने कहा कि यहाँ पुलिया की सख्त जरूरत है। यहाँ हाई स्कूल भी बच्चे इसी से जाते है। उन्होने बताया कि पुलिया की मांग हमलोग प्रसासन से कर चुके है एमएलए और एमपी से भी कर चुके है लेकिन कोई सुनवाई नही हो रही है अगर इसबार नही बना तो हमलोग यही धरना पर बैठ जाएंगे।


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