पटना: कोरोना के संक्रमण पर काबू पाने के लिए वैक्सीन एक अहम कदम है। सूबे में वैक्सीन की कमी होने के कारण वैक्सीनेशन की रफ्तार पर भी असर पड़ रहा है। वैक्सीन की कमी को दूर करने के लिए सूबे में ग्लोबल टेंडर की मांग उठनी शुरू हो गयी है। यूपी, दिल्ली, ओडिशा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, राजस्थान, कर्नाटक व आंध्र प्रदेश जैसे राज्य ग्लोबल टेंडर निकालने की प्रक्रिया में काफी आगे निकल चुके हैं। इनमें से कुछ राज्य या तो ग्लोबल टेंडर निकाल दिये हैं या इनकी प्रक्रिया अंतिम दौर में है। लेकिन इन सबके उलट बिहार सरकार ने इस बारे में कोई कदम नहीं उठाया है।
क्या कहता है आइएमए
वैक्सीनेशन के बारे में आइएमए ने स्पष्ट रूप से अपनी बात कही है। आइएमए बिहार के कार्यकारी अध्यक्ष डॉक्टर अजय कुमार के अनुसार, कोरोना के रफ्तार पर अगर काबू पाना है तो एकमात्र उपाय वैक्सीनेशन है। इस प्रक्रिया को हर हाल में अपनाना होगा। यह सुनिश्चित करना होगा कि अभी से छह माह के अंदर 80 से 90 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन लग जाये। डॉक्टर अजय यह भी कहते हैं, हर किसी को मुफ्त में वैक्सीन लगे, यह जरूरी नहीं है। वैसे लोग जो गरीबी रेखा से नीचे हैं, उन लोगों को ही फ्री में वैक्सीन दिया जाये। वैक्सीन की दो खुराक एक से डेढ हजार के बीख् आयेगी। लोग भुगतान कर सकते हैं। देश में जितने अमीर हैं, वो अपने लाभ का बीस प्रतिशत सीएसआर या चैरिटी के तहत सरकार को दे देना चाहिए। जिससे वैक्सीन को खरीदा जा सके। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एमएलसी प्रेमचंद्र मिश्र कहते हैं, सीएम नीतीश कुमार को भी खुद का निर्णय लेना होगा। आक्रामक मुद्रा में प्रेमचंद कहते हैं, इन सबमें केंद्र व राज्य सरकार का रवैया दिख रहा है।
पूरा नहीं हुआ ऑडर
दरअसल वैक्सीन को खरीदने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले माह में ही राज्यों व प्राइवेट अस्पतालों को निर्देश दे दिये थे। केंद्र सरकार द्वारा 18 साल से ऊपर के लोगों को वैक्सीन की मंजूदी तो दे दी गयी व स्पष्ट किया गया कि इन्हें केंद्र की तरफ से फ्री वैक्सीन नहीं दी जाएगी। यानी राज्यों को अपने पैसे से वैक्सीन खरीदनी होगी।
कांग्रेस नेता ने क्या कहा
कांग्रेस नेता और MLC प्रेमचंद्र मिश्रा इसे केंद्र और राज्य की मिलीभगत बता रहे हैं। कड़े शब्दों में कहते हैं कि बिहार की सरकार वैक्सीन को लेकर गंभीर नहीं दिख रही है। बिहार में स्वास्थ्य बजट 13 हजार करोड़ से ज्यादा है, पिछले साल का भी बजट बचा हुआ है। बिहार सरकार किसका इंतजार कर रही है? नीतीश कुमार ने चुनाव में वादा किया था, सरकार बनी तो मुफ्त में सबको टीका दिलवाएंगे। लेकिन इस रवैए से लगता है कि इनकी मंशा सबको टीका दिलाने की नहीं है। दरअसल बात यह है कि एक मई से 18 साल से ऊपर के लोगों को वैक्सीन दिया जाना था, लेकिन ऑर्डर के चक्कर में सूबे में वैक्सीनेशन शुरू नहीं हो सका। सरकारी स्तर पर वैक्सीन के सीमित मात्रा में ही डोज आ रहे हैं। इसे देखते हुए ग्लोबल टेंडर की बात उठनी शुरू हो गयी है। दरअसल ग्लोबल टेंडर की प्रक्रिया यह है कि केंद्र व राज्य सरकार किसी भी काम को करवाने के लिए टेंडर निकालती है। इनमें कई कंपनियां शामिल होती हैं और उस कंपनी को टेंडर जारी कर दिया जाता है जिसकी बोली सबसे किफायती होती है। वैक्सनी का टेंडर भी ऐसा ही होगा। चूंकि यह ग्लोबल होगा, इसमें देशी-विदेशी कंपनियां बोली लगा सकती हैं।