GAYA: गया जिला के बोधगया में हजारों वर्ष पहले भगवान बुद्ध को पवित्र बोधिवृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। भगवान बुद्ध की इसी ज्ञानस्थली पर कुछ बौद्ध भिक्षुओं को अपने पेट भरने के लिए गांव-गांव मे भटकना पड़ रहा है। कोरोना महामारी के कारण पिछले एक वर्ष से यहां पर्यटकों की आवागमन पर रोक लगी हुई है।
इन भिक्षुओं को पर्यटकों द्वारा दान मिलने से गुजारा हो जाता था। बीते एक वर्ष से इनलोगों की स्थिति काफी दयनीय हो चुकी है। भगवान बुद्ध ने मानव सेवा को प्रमुख माना, उनका सिद्धांत करुणा पर आधारित है व उनका उपदेश मानवतावाद पर आधारित है। बावजूद उसके बोधगया में सौ से अधिक बौद्ध मठ-मन्दिर व एनजीओ है, मगर किसी ने इन बौद्ध भिक्षुओं के मदद के लिए अपना हाथ आगे नही बढ़ाया। यहां तक कि महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति, जो बोधगया में सबसे बड़ी संस्था है, उसने भी मदद नहीं की।
पेट की भूख मिटाने के लिए इन्हें कई गांवों में जाकर भिक्षाटन करना पड़ता है, तब जाकर इनकी भूख मिटती है। इन दिनों कोरोना की दूसरी लहर को बढ़ने से लॉकडाउन लगा हुआ है। जिस वजह से ये सभी कही आ-जा नहीं सकते हैं। ऐसे में ये लोग प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन द्वारा चलाये जा रहे सामुदायिक रसोई में भोजन कर अपना गुजारा कर रहे हैं। यहां खाना खाने वाले भिक्षु प्रशासनिक व्यवसथाओं से काफी संतुष्ट नजर आए और उन्होनें सरकार के इस प्रयास की सराहना की।