NALANDA: दीपनगर थाना इलाके के ओकनामा गांव में सीआरपीएफ के जवान मंटू पासवान का पार्थिव शरीर गांव पंहुचते ही ग्रामीणों की आंखे नम हो गयी। एक साल पहले मंटू पासवान को ब्लड कैंसर होने का पता चला था। इसके बाद से ही उनका इलाज दिल्ली के मेदांता अस्पताल में चल रहा था। इलाज के दौरान ही उनकी मौत हो गई। मंटू पासवान 2017 में सीआरपीएफ में कांस्टेबल के पद पर जम्मू कश्मीर में तैनात थे।
स्वर्गीय सुखु पासवान के पुत्र मंटू 4 भाइयों में सबसे छोटा था। साल 2018 में उनकी शादी हुई थी और उनकी 2 साल की एक बच्ची है। उनके मौत की खबर सुनते ही परिजनों पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा। शुक्रवार को उनके पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गृह ओकनामा गांव लाया गया। जहां युवा ‘भारत माता की जय’ और ‘मंटू पासवान अमर रहे’ के नारे लगाते दिखे। जवान के निधन की खबर मिलते ही ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार और नालंदा के सांसद कौशलेंद्र कुमार भी गांव पहुंचे। दोनों ने गांव पहुंचकर परिजन से मुलाकात की और नम आंखों से उनके पार्थिव शरीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस दुख की घड़ी में हर किसी के आंखों में आंसू दिख रहे थे। पत्नी पिंकी देवी का रो-रोकर बुरा हाल था। वहीं मासूम सुहानी को यह नहीं पता कि उसके घर में क्या हुआ है। जवान के भाई ने बताया कि पिछले एक साल से जून में जब वह छुट्टी पर घर आया हुआ था तभी उसकी अचानक तबीयत खराब हो गयी। निजी क्लीनिक में इलाज के दौरान पता चला कि उन्हें ब्लड कैंसर हो गया है।
इसके बाद इलाज के लिए उन्हें पटना ले जाया गया। पटना में डॉक्टरों ने उन्हें भर्ती लेने से इनकार कर दिया। इस दौरान जवान और उनके परिजन आला अधिकारियों से बेहतर इलाज और मदद की गुहार लगाते रहे मगर किसी ने उनलोगों की फरियाद नहीं सुनी। इस कारण उनके इलाज में काफी देर हुई। मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि हमने एक बेटा खोया है। दुःख की इस घड़ी में परिवार के साथ है । सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता राशि पीड़ित परिवार को तत्काल दी जाएगी।