BETTIAH: ऐसा लगता है कि बिहार की डिप्टी सीएम रेणु देवी को पानी काफी ज्यादा पसंद है। जहां वह रहती हैं, वहां पानी अनपे आप ही पहुंच जाता है। धीरे-धीरे उनका जलजमाव से रिश्ता गहराता जा रहा है। पहले उनके पटना स्थित आवास में पानी लग गया, और अब उनके गृह जिले बेतिया की जनता भी पानी से त्राहि-त्राहि कर रही है। हालात इतने बुरे हैं कि स्थानीय प्रशासन खुद टापू के बीच काम करने को मजबूर है।
लगातार हो रही बारिश से बेतिया शहर एक बार फिर झील में तब्दील हो गया है। इस बारिश ने सभी प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। इससे पूर्व मॉनसून की पहली बारिश ने भी शहर की स्थिति नारकीय बनाकर रख दी थी। जिसके बाद नगर निगम और प्रशासन ने लोगों से वादा किया था कि आगे ऐसी समस्या नहीं आएगी। हालांकि महीने भर में ही सभी दावे बारिश के साथ धुल गए। शहर के आम-ओ-खास, सभी इलाके एकसाथ जलमग्न हो गए हैं। हालात इतने बुरे हैं कि कलेक्ट्रेट से लेकर अनुमंडल कार्यालय और नगर-निगम तक झील में तब्दील हो गए हैं। जिस प्रशासन के जिम्मे पूरे शहर के रख-रखाव और सफाई की जिम्मेवारी रहती है, सबसे ज्यादा नारकीय स्थिति उन्ही कार्यालयों की है। कलेक्ट्रेट, जहां खुद जिला पदाधिकारी बैठकर जिले के प्रशासनिक कार्य करते हैं, वहां का पूरा परिसर जल-जमाव के कारण झील बन चुका है। प्रशासन की गाड़ियों से लेकर एम्बुलेंस और जिले का चलंत कोविड जांच वाहन सब पानी मे डूब गए हैं।
यही हाल एसडीएम कार्यालय का है। एसडीएम कार्यालय और वहां जाने वाली सड़कें पानी से लबालब भर गईं हैं। जिस नगर-निगम के जिम्मे शहर को जल-जमाव से निजात दिलाने का जिम्मा है वो खुद हीं टापू बन गया है। शहर के ये हालात तब हैं जब सूबे की डिप्टी सीएम रेणु देवी इसी शहर की रहने वाली हैं। पिछले माह हुए बारिश से भी शहर के हालात ऐसे हीं हो गए तब प्रशासन के द्वारा इसे ठीक कर लिए जाने का दावा किया गया था लेकिन इस बार की हुई बारिश ने प्रशासन के तमाम दावों को मानो पानी मे बहा दिया हो। अब देखना है कि कबतक शहर के लोगों को जलजमाव से निजात मिलती है और अगली बार के लिए प्रशासन द्वारा क्या तैयारी की जाती है।