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BIHAR NEWS: जीवन देने वाले अस्पताल में जान से खिलवाड़ का सबूत, मरीज को चढ़ा दिया एक्सपायर्ड स्लाइन, हंगामा करने पर हरकत में आए स्वास्थ्यकर्मी

BIHAR NEWS: जीवन देने वाले अस्पताल में जान से खिलवाड़ का सबूत, मरीज को चढ़ा दिया एक्सपायर्ड स्लाइन, हंगामा करने पर हरकत में आए स्वास्थ्यकर्मी

GAYA: बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की मौजूदा स्थिति क्या है, यह किसी से भी छुपी नहीं है। कोरोनाकाल की दूसरी लहर में जनता को सरकारी अस्पताल से लेकर निजी सहित PHC की तस्वीरें देखने को मिली, जहां घोर लापरवाही सहित संसाधनों और डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की कमी नजर आई। तस्वीरें सामने आने के बाद बिहार के सांसदों, मंत्रियों सहित सभी गणमान्य व्यक्तियों ने डैमेज कंट्रोल करते हुए लगातार अपने-अपने क्षेत्र के अस्पतालों को विकसित करने के लिए बड़ी राशि खर्च की। हालांकि इन सब का भी क्या फायदा, जब स्वास्थ्यकर्मी और डॉक्टर्स ही शिक्षित होते हुए घोर लापरवाही करें और मरीजों की जान सांसत में डालें?

News4nation के पास तस्वीरें आई हैं मगध प्रमंडल के इकलौते अस्पताल से, जहां मरीजों को एक्सपायर्ड स्लाइन चढ़ाने का मामला प्रकाश में आया है। अस्पतालों में लोग इलाज कराने जाते हैं, लेकिन कर्मियों की लापरवाही से कितनों की जानें भी चली जाती है। अस्पताल की एक बड़ी लापरवाही का उदाहरण मगध के सबसे बड़े अस्पताल मगध मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में देखने को मिला। दरअसल, नवादा जिले के रजौली थाना क्षेत्र के अंधरबारी गांव की रहने वाली महिला राखी देवी को एक्सपायर्ड स्लाइन चढ़ाया जा रहा था। महिला का सिर में चोट लगी थी, जिसके बाद उसके बेटे द्वारा उन्हें नवादा अस्पताल में भर्ती कराया। जहां से बेहतर इलाज के लिए मंगलवार की सुबह आनन-फानन में उसे मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया गया। महिला की तबीयत खराब देखकर स्वास्थ्यकर्मियों ने तुरंत स्लाइन की बोतल लगा दी, लेकिन उसके पुत्र को स्लाइन एक्सपायर होने का पता तब चला, जब स्लाइन बीच में रुक गया।


इसके बाद उनके बेटे सहित अन्य परिजनों द्वारा अस्पताल परिसर में खूब हंगामा किया गया। जिसके बाद स्वास्थ्यकर्मी हरकत में आए, और तत्काल ही स्लाइन बदलकर दोबारा चढ़ाया गया। यहां परिजनों की तत्परता से एक मरीज की जान तो बच गई, मगर गौर करने वाली बात यह है कि ऐसे ही कितने स्लाइन वहां मौजूद होंगे, और कितनो का इस्तेमाल हो चुका होगा?

आखिर स्टोर तक पहुंची कैसे एक्सपायर्ड स्लाइन

मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य सिस्टम पर सवाल उठता है कि आखिर, किस प्रकार से इमरजेंसी स्टोर तक एक्सपायर स्लाइन पहुंची। कोई इसकी जांच नहीं करता है क्या? इसी प्रकार से अगर आगे भी ऐसा होता रहा तो किसी मरीज के जान के जिम्मेवार कौन होगें? साथ ही ये भी सवाल उठता है कि क्या अस्पताल में तैनात जीएनएम स्लाइन बनाने वाली कंपनियों से ज्यादा जानकारी रखती है? जो इस प्रकार से गैर जिम्मेदारा तरीके से कहती है कि जबतक स्लाइन का रंग नहीं बदले व फंफूदी ना हो तबतक स्लाइन एक्सपायर नहीं होता। क्या स्वास्थ्य विभाग जीएनएम को प्रशिक्षण तक नहीं देती?

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