BETTIAH: यास तूफान और मॉनसून की बारिश ने एक तरफ जहां पूरे बिहार को काफी भिगोया है, वहीं इसके फलस्वरूप संभवतः पहली बार जून के महीने में सूबे के उत्तरी क्षेत्रों में बाढ़ आ गई है। नेपाल से सटे इलाके में हो रही भारी बारिश से नदियों का जलस्तर बढ़ गया है, जिस वजह से नदी किनारे बसे इलाकों में तेजी से कटाव हो रहा है। कई जगहों पर प्रशासन लगातार माइकिंग कर लोगों के ऊंचे स्थानों पर जाने की सलाह दे रहा है, तो कुछ इलाकों में अबतक प्रशासन की सहायता नहीं पहुंची है और लोग खुद ही पलायन कर रहे हैं।
भारी बारिश से पश्चिम चंपारण जिले को काफी नुकसान पहुंचा है। जिले की ऐतिहासिक धरोहर लौरिया स्थित अशोक स्तम्भ बाढ़ के पानी से चारों तरफ से घिर चुका है। नरकटियागंज-चनपटिया , नरकटियागंज-लौरिया और लौरिया-रामनगर मुख्य पथ पर सिकरहना नदी का पानी आने की वजह से अवरुद्ध हो गया है। सड़कों पर 3 से 4 फीट पानी बह रहा है। लोग किसी तरह सड़क पर आवागमन कर रहे हैं। प्रखण्ड मुख्यालय और जिला मुख्यालय का दर्जनों गावों से संपर्क टूट गया है। इतना ही नहीं, समय से पहले बाढ़ आने से सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को हुआ है। उनके द्वारा सैंकड़ों एकड़ में लगाई गई फसल बर्बाद हो गई है। धान के बीचड़े जहां पानी में सड़ गए, वहीं गन्ने की फसल भी पानी में भीग रही है। इससे गन्ने की मिठास कम हो जाएगी और फसल खराब हो जाएगी। बिहार में मॉनसून के आगमन से हुई बारिश से पहले जहां किसान काफी खुश और संतुष्ट थे। वहीं अब सभी किसानों के चेहरे लटक गए हैं और वह लोग आगे को लेकर भी फैसला नहीं ले पा रहे हैं।
पश्चिम चंपारण में बहने वाली सिकरहना, गंडक, नारायणी, पंडई, रमरेखा, हड़बोड़ा, भापसा सहित सभी नदियों का जलस्तर बढ़ गया है। जिले में दर्जनों गावों मे बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। इस संबंध मे स्थानीय ग्रामीण मालिक ठाकुर व राजू साह ने बताया की मुख्य पथ पर पानी आ जाने से केहुनीया, मलाही, देवराज, मटियारिया सहित दर्जनों गांव बाढ़ एक पानी से घिरे है। सैकड़ों एकड़ मे लगा धान का बीचड़ा सड़ गया और गन्ना में पानी चले जाने से गन्ने की फसल भी बर्बाद हो गयी है।इसके अलावा ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और राज्य सरकार पर भी अनदेखी का आरोप लगाया। ग्रामीणों ने बताया कि सरकार की ओर से अबतक एक भी नाव की व्यवस्था नहीं की गई है। इस वजह से जनता काफी परेशान हैं और किसान बर्बाद है।