Vande Bharat Express: बिहार को रेलवे ने दो बड़ी सौगात दी है। 15 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाएंगे। पहली ट्रेन भागलपुर-हावड़ा के बीच चलेगी तो वहीं दूसरी ट्रेन टाटानगर - पटना के बीच चलेगी। वहीं इन ट्रेनों के परिचालन के पहले ही एक बड़ी खबर सामने आई है। जानकारी अनुसार टाटानगर-पटना वंदे भारत ट्रेन पर असमाजिक तत्वों ने पथराव किया है। इस घटना में ट्रेन का शीशा टूट गया है।
पत्थराव में ट्रेन का शीशा टूटा
दरअसल, मिली जानकारी अनुसार PM नरेंद्र मोदी 15 सितंबर को टाटानगर-पटना वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे। पीएम के हरी झंडी दिखाने से पहले मंगलवार को इस ट्रेन का ट्रायल रन किया गया। ट्रायल रन के दौरान ही जब ट्रेन टाटा से चलकर गोमो होते हुए गया की ओर आ रही थी तभी बंधुआ-टनकुप्पा स्टेशन के बीच किसी ने इस ट्रेन पर पत्थर फेंक दिया।
2:08 घंटे की देरी से पटना जंक्शन पहुंची
पत्थर फेंके जाने से ट्रेन की खिड़की का शीशा क्षतिग्रस्त हो गया। बताया जा रहा है कि इस मामले में कोडरमा आरपीएफ ने अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। इसकी छानबीन की जा रही है। पटना-टाटा वंदे भारत एक्सप्रेस का ट्रायल मंगलवार को पूरा हो गया। हालांकि यह ट्रेन अपने तय समय से 2:08 घंटे लेट पहुंची। लेकिन ट्रायल सफल रहा। टाटा से चलकर इस ट्रेन को दिन के 12.20 बजे पटना पहुंचना था। लेकिन 2:08 घंटे की देरी से पटना जंक्शन पहुंची।
प्लेटफॉर्म नंबर आठ पर रुकेगी ट्रेन
यह ट्रेन कुल आठ कोच के साथ टाटा से चलकर पटना आयी। पटना में यह ट्रेन प्लेटफॉर्म नंबर आठ पर रुकी। रेलवे सूत्रों की मानें, तो बोकारो और गोमो स्टेशन के बीच ट्रेन की स्पीड मात्र 35 से 40 किमी प्रति घंटे रही। ट्रेन करीब 20 मिनट तक राजबेडा स्टेशन के पास रुकी, जहां तकनीकी मामलों का ट्रायल किया गया। वापसी में यह ट्रेन दोपहर 03:05 बजे पटना जंक्शन के प्लेटफॉर्म नंबर आठ से रवाना हुई।
अब तक 70 साल लाख रुपए का हुआ है नुकसान
बता दें कि वर्तमान में देश में 102 वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं जो 100 रूटों पर दौड़ती हैं और 280 से अधिक जिलों को जोड़ती हैं। इन ट्रेनों पर पत्थरबाजी की कई घटनाएं हो चुकी हैं, और रेलवे ने उन रूटों को चिन्हित किया है जहां बार-बार पत्थरबाजी की घटनाएं होती हैं। ज्यादातर घटनाएं ग्रामीण इलाकों में हुई हैं। हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, 2019 से 2023 तक केवल पत्थरबाजी के कारण रेलवे को लगभग 56 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। इसके अतिरिक्त, हर साल 15 लाख रुपये पत्थरबाजी से टूटे शीशों की मरम्मत में खर्च होते हैं। अब तक कुल मिलाकर रेलवे को करीब 70 लाख रुपये का नुकसान हो चुका है।
पत्थरबाजी के लिए रेलवे ने उठाए कड़े कदम
वहीं रेलवे ने पत्थरबाजी की घटनाओं को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। अब तक, रेलवे ने 150 से अधिक लोगों को पकड़ा है और उनके खिलाफ कार्रवाई की है। रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 151 के तहत दोषियों को पांच साल तक की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है।