PATNA : बिहार में लॉकडाउन के फैसले का विरोध जतानेवालों में जिन पार्टियों के नाम सबसे ऊपर थे, उनमें बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की पार्टी हम सबसे आगे थी। पार्टी के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा था कि लॉकडाउन के कारण गरीबों के सामने रोजी रोजगार की समस्या को लेकर चिंता जाहिर की थी कि इनके लिए बिना कोई इंतजाम किए लॉकडाउन का फैसला लिया गया। हिन्दु्स्तानी आवाम मोर्चा के प्रवक्ता ने 24 घंटे में ही अपना बयान बदल दिया है और अब सरकार के लॉकडाउन के फैसले को स्वागतयोग्य फैसला बताते हुए दूसरे राज्यो को भी सीख लेने की बात कही है।
दानिश रिजवान ने दोबारा बयान जारी करते हुए कहा कि हमारी पार्टी लगातार लॉकडाउन को लेकर ये बात कहती आई है कि रोज मर्रा के मजदूर और गरीबों का ख्याल रखा जाए। मंगलवार को बिहार सरकार की तरफ से लॉकडाउन लगाने के फैसले के बाद गाइडलाइन जारी हुई है, इसमें ये स्पष्ट है कि मजदूरों का काम चलता रहेगा। मनरेगा के तहत में कार्य होते रहेंगे। साथ ही रिक्शा चालक, ऑटो चालक और टमटम चालकों के लिए अलग से सामूहिक किचन का निर्माण किया गया है। इसको लेकर पार्टी नीतीश कुमार के निर्णय का धन्यवाद देती है
इससे पहले लॉकडाउन की घोषणा होते ही दानिश रिजवान ने कहा था कि बिहार सरकार ने लॉकडाउन का फैसला न्यायालय की टिप्पणी के बाद लिया है, लेकिन इस निर्णय से गरीब तबका निराश होगा। क्योंकि वो कोरोना से बच गया तो भूख से मर जाएगा। हम ने कहा था कि ऐसा लोगों को छूट मिलनी चाहिए। बैंक लोन लिए लोगों का इंट्रेस्ट और किराएदारों का किराया माफ होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो जनता के बीच आक्रोश पनपेगा, जिसका नतीजा बहुत खराब होगा।
शहाबुद्दीन के राजकीय सम्मान की मांग के कारण आए थे निशाने पर
जीतन राम मांझी की पार्टी ने पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के निधन के बाद उनके राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किए जाने की मांग की थी, जिसके बाद उन्हें सोशल मीडिया पर लोगों ने जमकर हमला किया था और उनसे पूछा था कि अपनी राजनीति के लिए उम्र कैद के सजा पा चुके व्यक्ति की राजकीय सम्मान की मांग कर रहे है।