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रेलवे के रेक प्वाइंट पर नहीं लागू होते हैं नीतीश सरकार का कोरोना गाइडलाइन, 24 घंटे कराए जा रहे हैं मजदूरों से काम

रेलवे के रेक प्वाइंट पर नहीं लागू होते हैं नीतीश सरकार का कोरोना गाइडलाइन, 24 घंटे कराए जा रहे हैं मजदूरों से काम

KATIHAR : कटिहार के गौशाला रेलवे रैक पॉइंट पर  बिहार सरकार एवं सिविल प्रशासन द्वारा जारी कर्फ्यू के नियमों का रेल प्रशासन द्वारा हर रोज धज्जियां उड़ाया जा रहा है दरअसल रेलवे रैक पॉइंट में 24 घंटा मजदूरों से माल ढुलाई करवाया जाता है और इस के बाद कर्फ्यू के दौरान जब मजदूर देर शाम या देर रात घर लौटते हैं तो पुलिस द्वारा उन्हें प्रताड़ित किया जाता है, इसके अलावा रैक पॉइंट से समय पर माल नहीं हटाने पर रेलवे प्रशासन के तरफ से दस गुणा पैनल डीसी के नाम पर चार्ज व्यपारियों से लिया जाता है। जिसे  लेकर व्यापारी और मजदूर दोनों परेशान है, उधर रेल प्रशासन के इस मनमानी रवैया के खिलाफ अब राजद व्यवसायियों के साथ हो कर रेल प्रशासन के खिलाफ हल्ला बोल रहे हैं और इसे रेल प्रशासन की मनमाना करार दिया है

राजद नेता समरेंद्र कुणाल ने बताया कि एक तरफ केंद्र और राज्य सरकार कोरोना से बचाव के लिए कड़े गाइडलाइन बना रही है, वहीं दूसरी तरफ रेलवे में इस गाइडलाइन का पालन नहीं किया जाता है।  सैकड़ों मजदूर कटिहार और आसपास के जिलों से यहां काम करने के लिए आते हैं।  उन्होंने रेलवे रेक प्वाइंट का जिक्र करते हुए बताया कि इस रेक प्वाइंट की स्थिति यह है कि यहां काम करनेवाले किसी मजदूर को रेलवे की तरफ से कोई कार्ड नहीं बनाकर दिया गया है। नतीजा यह है कि नाइट कर्फ्यू में कई बार आने जाने के दौरान पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेती है। ठेकेदार और राजनेताओं की कोशिश से उन्हें छुड़ाया जाता है। यहां के एडीआरएम शायद की कभी रेक प्वाइंट की व्यवस्था की जानकारी लेते हैं। राजद नेता ने कहा कि यह स्थिति बनी रही एडीआरएम का घेराव किया जाएगा।

कोई टाइम टेबल नहीं बनाई गई

बताया गया कि इस रेक प्वाइंट की स्थिति ऐसी है कि यहां काम करने के लिए मजदूरों का कोई टाइम टेबल नहीं है, रेक प्वाइंट के कार्यालय में लगे टाइम टेबल के बोर्ड पर कागज चिपका दिया गया है ताकि लोग कोई सवाल न पूछें और मजदूर कोरोना के खतरे के बीच घंटो काम करते रहे। चौंकानेवाली बात यह है कि किसी मजदूर के बीच मास्क तक नहीं बांट गए है। यह अपने गमछे को मास्क बनाकर काम चला रहे हैं।

मजदूरों की भी शिकायत

रेलव प्रशासन की इस व्यवस्था को लेकर मजदूरों में भी नाराजगी है। यहां काम करनेवाले श्रमिकों ने बताया कि सरकार हमारे साथ ज्यादती कर रही है। हमलोगों से जबरदस्ती काम कराया जा रहा है। यहां छह घंटे के पैनल डीसी के लिए पहले 12 हजार के करीब लिया जाता था, अब यह 75 हजार कर दिया गया है। रेलवे प्रशासन के कारण मजदरों को कई प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिसे दूर करने की जरुरत है।


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