पटना। (Bihar News) (patna high court) एक तरफ सभी सरकारी स्कूलों में छात्राओं को परेशानी से बचाने के लिए टॉयलेट बनाने के दावे किए जाते हैं। दूसरी तरफ राजधानी पटना में ही सरकारी स्कूलों में छात्राओं को जरुरी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। इस बात की सच्चाई हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान सामने आई। हाईकोर्ट ने पटना के सभी कॉलेजों और पाटलिपुत्र विश्वविद्यालयों और पटना के नगर निगम की सीमा के सरकारी स्कूलों की जांच करवाई थी, जिसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट के सामने प्रस्तुत की गई थी। हाईकोर्ट ने इसके लिए अर्चना सिन्हा शाही, अनुकृति जयपुरियार और अमृषा श्रीवास्तव की तीन-सदस्यीय समिति का गठन किया था। इसका मकसद शौचालय के बुनियादी ढांचे की वास्तविकता जानना था।
सामने आई स्कूलों की असली सच्चाई
समिति यह जानकर हैरान थी कि नाला रोड पर बापू स्मारक बालिका उच्च विद्यालय के परिसर से चार स्कूल एक साथ चल रहे थे। समिति ने शास्त्री नगर में सरकारी कन्या मध्य विद्यालय, लालजी टोला में कन्या मध्य विद्यालय, यारपुर में आदर्श कन्या मध्य विद्यालय, अमला टोला में कन्या मध्य विद्यालय, कदमकुआं में लोकेश्वरी बालिका उच्च विद्यालय और पुनीचक में राजकीय कन्या मध्य विद्यालय का उल्लेख किया।
समिति ने संस्थानों में निधियों की कमी और नियमित सफाई कर्मचारियों पर भी प्रकाश डाला। समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि इन स्कूलों में छात्राओं के लिए शौचालय और अन्य आवश्यक बुनियादी ढांचे या तो थे ही नहीं, या फिर फंड की कमी और नियमित सफाईकर्मियों की कमी के कारण बहुत खराब स्थिति में थे।
संसाधन नहीं होने पर खुद किया स्कूल के टॉयलेट साफ
सुनवाई के दौरान लोकेश्वरी गर्ल्स हाई स्कूल की प्रिंसिपल अलका सिन्हा ने बुधवार को पटना हाईकोर्ट के सामने उच्च न्यायालय को खुद शौचालय की सफाई करते हुए तस्वीरें दिखाईं। सुनवाई के दौरान उपस्थित अतिरिक्त महाधिवक्ता अंजनी कुमार सहित मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की पीठ ने प्रधान की प्रशंसा की। अलका ने शौचालय के उचित रखरखाव के लिए मानव संसाधन और धन की कमी सहित कई बाधाओं का हवाला दिया।
झूठ बोलने पर प्रिसिंपल को लगाई फटकार
कोर्ट ने बांकीपुर गर्ल्स हाई स्कूल के प्रिंसिपल से जानना चाहा कि फादर ऑफ द नेशन महात्मा गांधी को जानते हैं, उनके बारे में पढ़े हैं। शर्म आती है आप लोगों को कोर्ट में बुला कर। आप कैसे शिक्षण संस्थान को चलाते हैं। कोर्ट में आकर झूठ बोलते हैं। शिक्षण संस्थान घर के समान होता है। जब आप अपना घर साफ रख सकते हैं तो फिर शिक्षण संस्थानों को क्यों नहीं साफ रखते हैं। कोर्ट ने जब स्कूल के प्रिंसिपलों से सवाल करना शुरू किया तो उनकी स्थिति देखने लायक थी।
कोर्ट ने कहा कि पटना शहर स्मार्ट सिटी में शुमार है और यहां के गर्ल्स स्कूलो में शौचालय नहीं है। जहां शौचालय है तो साफ नहीं है। यह जानकर आपको अच्छा लगता है। आपको पता है कि देश का भविष्य आपके हाथों में है। उन्हें कैसी जानकारी दे रहे हैं। कोर्ट के इन सवालों से स्कूलों के प्रिंसिपल हक्का-बक्का रह गए। कुछ नहीं बोल पाए।
शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश
ऐसी हालत को देखते हुए पटना हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश दिया है कि वो इन स्थानों पर छात्राओं को सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने के लिए धन आवंटन और अन्य आवश्यक कार्रवाई के बारे में व्यक्तिगत क्षमता में जवाब दाखिल करें। कोर्ट ने मामले की दोबारा सुनवाई के लिए 15 अप्रैल की तारीख तय की है।