PATNA : राजधानी पटना के सरकारी अस्पतालों की लचर व्यवस्था की सच्चाई एक बार फिर सामने आ गई है। जहां एक तरफ एक-एक ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए लोग मारामारी कर रहे है, मुंहमांगी कीमत देने को तैयार है. पुलिस दिन भर छापेमारी कर रही है। वहीं दूसरी तरफ सरकारी अस्पताल में नए सिलेंडर कचरे की तरह धूल फांकते हुए मिले हैं। वह भी एक दो सिलेंडर नहीं, बल्कि पूरे 36 आक्सीजन सिलेंडर। जिन्हें देखने के बाद ही अनुमान लगाया जा सकता है कि वह कितने दिन से यहां पर पड़े हुए हैंं।
पटना के वीआईपी अस्पतालों में शामिल गर्दनीबाग हॉस्पीटल में मिले इन 36 नए सिलेंडरों के बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है। सभी 36 नए ऑक्सीजन सिलेंडर सिविल सर्जन और बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यालय के बीचों बीच कचरे में फेंके हुए मिले हैं। इन सिलेंडरों के प्लास्टिक कवर भी नहीं हटे हैं जो बताते है कि इनको बिना इस्तेमाल किए हुए ही यहां पर छोड़ दिया गया है। मामले में जब पटना की सिविल सर्जन से सवाल किया गया तब उन्होंने हकीकत छुपाने की पुरजोर कोशिश की.
तरह तरह के दिए जवाब
अस्पताल में कचरे में मिले सिलेंडरों को लेकर पटना की सीएस तरह तरह के जवाब देती नजर आईं। कभी उन्होंने कहा कि यह यूज किए हुए सिलेंडर हैं तो कभी उन्होंने कहा जगह की कमी के कारण स्टोर रूम के बाहर रखा गया है. इतना ही नहीं उन्होंने तो यह भी कह डाला कि इसे इमरजेंसी के लिए रखे गए हैं। अब यह समझ से परे है कि सीएस किस तरह के इमरजेंसी का बात कर रही हैं। क्योंकि अभी जो हालात है, उसे तो कोर्ट ने भी आपात बता दिया है।
राज्य सरकार और केंद्र सरकार लगातार कोशिश कर रही है कि इस महामारी के समय ऑक्सीजन की पूर्ति करवाई जा सके. ऐसे में राजधानी पटना के सिविल सर्जन के कार्यालय परिसर में ब्रांड न्यू ऑक्सीजन सिलेंडर फेंका होना घोर लापरवाही से कम नहीं. हालांकि बताया जा रहा है कि मामला सामने आने के बाद आनन फानन में उसे वहां से हटा दिया गया।