PATNA: हर कोई यह बात मान चुका है कि कोरोना की पहली लहर कम संक्रामक थी. वहीं दूसरी लहर अपने सारे पुराने रिकॉर्ड को ध्वस्त करते हुए एक अलग ही विशालकाय रिकॉर्ड बनाने में लगी हुई है. कोरोना संक्रमण की पहली लहर में डॉक्टर बहुत हद तक बचे हुए थे और लगातार सेवा दे रहे थे. हालांकि साल 2021 में कई डॉक्टर कोरोना की चपेट में आ चुके हैं इनमें से कई डॉक्टरों ने अपनी जान गवां दी. साथ ही कई डॉक्टर ठीक होकर दोबारा मरीजों की सेवा में जी जान से जुट गए हैं. बिहार की बात करें तो बिहार में भी डॉक्टरों पर कोरोना का कहर जारी . यहां कई डॉक्टर कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. इनमें से कई लोगों की मौत भी हो चुकी है.
यहां मुद्दा यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिशा निर्देश दिए थे कि कोरोना से यदि किसी डॉक्टर का निधन होता है तो 50 लाख की सहायता राशि उनके परिजनों को दी जाएगी. वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस संबंध में चार लाख अनुग्रह राशि पीड़ित परिजनों को देने की बात की थी. अनुग्रह राशि के दावे की सच्चाई यह है कि बिहार में मात्र एक डॉक्टर को अब तक केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से अनुग्रह राशि मुहैया करवाई गई है. कोरोना काल में हुए अन्य डॉक्टरों की मौत में काफी प्रयास के बाद भी उनके परिवार वालों को वादे के मुताबिक अनुग्रह राशि अब तक नहीं मिली. इस मामले पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि वह अपने तरफ से डॉक्टरों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं.
आंकड़ों के अनुसार, कोरोना की पहली लहर में 42 और दूसरी लहर में अब तक 74 डॉक्टरों ने जान गंवाई है।. साल 2020 में समस्तीपुर के सिविल सर्जन डॉ रती रमन झा पूर्णा से संक्रमित हुए थे. इलाज के दौरान पटना में 27 जुलाई को उनकी मौत हो गई थी. इनके परिवार को केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से कुल मिलाकर 54 लाख की अनुग्रह राशि प्रदान की गई. इसके बाद से अब तक किसी को यह राशि नहीं मिल पाई है.