BAGHA: इस साल बिहार में समय से पहले आई बाढ़ ने पश्चिम चंपारण सहित उत्तर बिहार के क्षेत्र में तबाही मचा रखी है। बाढ़ की विभीषिका क्या होती है, यह वही समझ सकता है जिसने बाढ़ की त्रासदी आंखो देखी हो या फिर उसमें फंसे हो औऱ घर-बार जलमग्न हुआ हो। बाढ़ के पानी में एख तरफ जहां घर, बाजार, दुकान, खेत सभी डूब जाते हैं और जीवन एक हिसाब से दोबारा शुरू करना पड़ता है। वहीं दूसरी तरफ बाढ़ के पानी में बहकर आए विषैले और खतरनाक जीव-जंतुओं से लोगों को अपनी रक्षा करनी होती है।
बगहा में वन अधिकारियों की एक बार फिर लापरवाही सामने आई है।शायद उन्हें मालूम नहीं उनकी छोटी सी लापरवाही कभी बहुत बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है।ताजा मामला बगहा एक प्रखंड के महीपुर भतौड़ा पंचायत स्थित कुम्हिया गांव की है। जहां बाढ़ के पानी से लबालब भरे मध्य विद्यालय के एक कमरे में6 फीट लंबे, विषैले सांप को देखकर ग्रामीण भयभीत हो गए।इसके रेस्क्यू के लिए ग्रामीणों ने वन कर्मियों को सूचना देनी चाही,पर किसी ने उनका फोन रिसीव तक नहीं किया।ऐसी हालात में ग्रामीणों के पास खुद की सुरक्षा का कोई उपाय नहीं बचा। मरता क्या नहीं करता, ग्रामीणों ने अपनी जान हथेली पर लेकर घंटों मशक्कत के बाद उस सांप को पकड़कर एक बड़े से जालीनुमा पिंजरे में रख दिया। डरे -सहमे ग्रामीणों ने इसकी सूचना समाजसेवी गजेंद्र यादव को दी।गजेंद्र यादव मौके पर पहुंचे और उस सांप की पहचान कर बताया की यह ‘रसेल वाइपर’ है जो वेहद ही विषैला होता है।
गजेंद्र यादव ने रेस्क्यू किए गए सांप को सुरक्षित जंगल मे छोड़ने के लिए अपने फोन से बगहा के फॉरेस्टर एवं वन पाल मनोज कुमार को बताया। गजेंद्र का आरोप है कि तुरंत बाद वन कर्मियों ने उनका फोन नम्बर को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया। ऐसे में ग्रामीणों ने उस विषैले साँXप को गांव के ही बगल के झाड़ी में छोड़ दिया। अब गंभीर सवाल है कि साँप को पकड़ते समय कोई दुर्घटना हो जाती तो उसका जिम्मेवार कौन होता ? वहीं दूसरी तरफ रामनगर थाना क्षेत्र के गोवरधना रेंज के भावल के पास पुलिस और ग्रामीणों की मदद से एक पोखर से मगरमच्छ का रेस्क्यू किया गया। इस मगरमच्छ को वन कर्मियों ने सुरक्षित तरीके से वाल्मीकिटाईगर रिजर्व के गंडक नदी मे छोड दिया।