PATNA/GAYA/SHEIKHPURA: बिहार सहित देश के कई हिस्सों में वट सावित्री की पूजा-अर्चना की गई। पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री की पूजा की जाती है। यह व्रत हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या को रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लौटाने के लिए यमराज को भी विवश कर दिया था। इस व्रत के दिन सत्यवान-सावित्री कथा को भी पढ़ा या सुना जाता है।
बिहार में पटना सहित अलग-अलग हिस्सों में सुहागिनों ने पूरे विधि-विधान से वट सावित्री की पूजा की। इस मौके पर महिलाओं में खासा उत्साह देखा गया। काफी दिनों बाद महिलाओं को घर से बाहर निकने का मौका मिला। इस बार वट सावित्री कोरोनाकाल में पड़ी है। कोरोनाकाल में महिलाएं वैसे भी घर से बाहर नहीं जा रही थी। इस मौके का पूरा फायदा उठाते हुए महिलाएं सज-धज कर बाहर निकली और वट वृक्ष के नीचे पूजा-अर्चना की। पटना, शेखपुरा, गया सहित तमाम क्षेत्रों में वट सावित्री को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह देखा गया। सुबह से ही सुहागिन महिलाएं टोलियों में बरगद के पेड़ के पास पहुंचकर पूजा करती नजर आई। दोपहर तर यह सिलसिला चलता रहा। इस दौरान आसपास बच्चों और युवाओं की भी भीड़ देखी गई। पुलिस- प्रशासन द्वारा वट सावित्री को लेकर सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे। की जगहों पर पुलिस की विशेष तैनाती की गई थी, जिससे पूजन में विघ्न ना हो।
क्यों की जाती है वट वृक्ष की पूजा
वट सावित्री व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में बरगद का वृक्ष पूजनीय माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस वृक्ष में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। इस वृक्ष की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा शुभ मानी जाती है।