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हैरान हैं मंत्री जी चादर तान कर सोया है विभाग,14 महीने में सिर्फ 9 प्रतिशत काम, सीएम के सपना का कर दिया काम तमाम

हैरान हैं मंत्री जी चादर तान कर सोया है विभाग,14 महीने में सिर्फ 9 प्रतिशत काम, सीएम के सपना का कर दिया काम तमाम

PATNA : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सपना है हर घर में नल और जल। लेकिन विडंबना देखिए कि 14 महीने तक लगातार सुशासन वाला हाई वोल्टेज वाला बल लगाने के बाद न नल पहुंचा न जल। वो भी ऐसे इलाके में जहां यह अनिवार्य है।अब विभाग के मंत्री जी हैरान हैं और चादर तान कर सोया विभाग अब जागा है। लेकिन जब तक विभाग जागता उससे पहले हीं सीएम साहब के सपना का बंटाधार हो चुका था। अब कुछ नहीं सूझा तो आनन-फानन में एजेंसी को काली सूची में डाल दिया। कहा गया कि अब विभाग के द्वारा इस एजेंसी को कोई भी काम नहीं दिया जाएगा। भला यह कोई बात हुई 14 महीने से जब एजेंसी कछुआ चाल चल रहा था तो उस पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। क्या इंतजार किया गया कि 14 महीने में एक एजेंसी के द्वारा 9 प्रतिशत काम का रिकॉर्ड बनाने के बाद विभाग कार्रवाई करेगा।

विभाग 14 महीने तक चादर तानकर सोया रहा एजेंसी चलता रहा कछुआ चाल

हैरानी की बात यह है की सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट का अहम हिस्सा हर घर नल और जल खासकर उस इलाके में जहां के लोग आर्सेनिक युक्त पानी पीने को विवश है। जहां शुद्ध पानी की अत्यंत आवश्यकता है । उस जगह पर हर घर में नल और जल की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी एक एजेंसी को दी गई एजेंसी लगातार 14 महीने तक काम करता रहा परिणाम का वक्त आया जब साहब ने अद्यतन रिपोर्ट ली तो पता चला कि काम सिर्फ 9 प्रतिशत हो पाया है । मतलब साफ है कि पिछले 14 महीने तक विभाग एजेंसी पर निर्भर होकर चादर तान सोया रहा । एजेंसी क्या कर रही है ,काम का प्रोग्रेस रिपोर्ट क्या है यह किसी को पता नहीं चल पाया । अब आनन-फानन में एजेंसी को काली सूची में डाल दिया गया है । अब दूसरी एजेंसी को काम सौंप दिया गया है , एक बार फिर से उस इलाके में नल जल पहुंचाने के लिए डेढ़ साल का समय दिया गया है।

योजना है क्या जरा समझ लीजिये

बता दें कि यह योजना पीएचडी विभाग के तहत लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंडल भागलपुर के क्षेत्र का है । राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत सुल्तानगंज एवं नाथनगर प्रखंड के अत्यधिक आर्सेनिक प्रभावित गांव में पेयजल की आपूर्ति होनी है। पेयजल की आपूर्ति हेतु एक एजेंसी का ट्रायल रन लेने के बाद उसके साथ करार किया गया 6 जुलाई 2021 को करार समाप्त होने वाला था । करार समाप्त होने से पहले इंजीनियर साहब एजेंसी द्वारा किए गए कार्य की रिपोर्ट लेने पहुंचे तो पता चला कि सिर्फ 9 प्रतिशत ही काम हो पाया है । अब बाकी बचे साढ़े तीन महीने में 91 प्रतिशत का काम होना किसी कीमत पर संभव ही नहीं है। फिर क्या था एजेंसी को काली सूची मे डाल दिया गया । अब अब दूसरी एजेंसी को डेढ़ साल का समय देकर काम दे दिया गया है

मंत्री जी हैं हैरान और परेशान भी

अपने ही विभाग के कारिस्तानी पर विभागीय मंत्री रामप्रीत पासवान हैरान भी हैं और परेशान भी । उनका कहना है की यह जांच का विषय है की योजनाओं के क्रियानवयन की  मॉनिटरिंग होती है या नहीं । अगर सभी योजनाओं की मानिटरिंग हो तो सुस्ती को समय पर पकड़ा जा सकता है । जल्दी कार्रवाई हो तो मामूली देरी के साथ योजनाएं पूरी हो सकती हैं ।

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