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इस गांव में कोरोना को लेकर इतनी है सख्ती कि 13 माह से नहीं हुआ कोई संक्रमित, बन रहा है उदाहरण

इस गांव में कोरोना को लेकर इतनी है सख्ती कि 13 माह से नहीं हुआ कोई संक्रमित, बन रहा है उदाहरण

BUXER : देश में शायद ही कोई ऐसी जगह हो, जहां पिछले दो साल में कोरोना ने किसी को संक्रमित नहीं किया हो। लेकिन यहां हम बताने जा रहे हैं एक ऐसे गांव के बारे में जहां न तो कोरोना की पहली लहर और न ही दूसरी लहर ने किसी ग्रामीण को संक्रमित किया है। यह गांव भी उस राज्य का है, जिसे देश में पिछड़ा हुआ माना जाता है। इस गांव का नाम है रेवटियां, जो बिहार के बक्सर जिले के चौगाई प्रखंड का है। पहली लहर से लेकर अब तक करीब 13 माह बीत चुके हैं। करीब 60 हजार की आबादी वाला जिले का चौंगाई प्रखंड हॉट स्पॉट बना रहा, पर इसी प्रखंड के गांव रेवटियां में कोरोना का एक भी मामला नहीं आया। यह गांव संदेश दे रहा है कि सतर्कता बरती जाए तो कोरोना जैसी बीमारी से भी बचा जा सकता है

कोरोना को लेकर गांव में हैं सख्त नियम

रेवटियां गांव में कोरोना से बचाव को लेकर सख्त नियम बनाए गए हैं। बताया गया कि करीब दो हजार की आबादी वाले इस गांव से कई लोग रोजी-रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में गए हुए हैं। वे वापस आते हैं तो उन्हें गांव के बाहर स्कूल में कम से कम तीन दिन क्वारंटाइन रहना पड़ता है। लक्षण पाए जाने पर उनकी जांच कराई जाती है। पिछले साल बाहर से आया एक प्रवासी संक्रमित मिला था। गांव के सख्त नियम के कारण प्रवेश से पहले ही संक्रमण का पता चल गया और उसे बाहर से ही इलाज के लिए लिए आइसोलेशन केंद्र में भेज दिया गया। पिछले साल लॉकडाउन के दौरान ग्रामीणों ने खुद ही गांव की सीमा पर बैरिकेडिंग कर दी थी।

दूसरे लहर का भी गांव में असर नहीं

इस साल कोरोना के दूसरे लहर में लोग ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं, मरनेवालों की संख्या भी अधिक है, लोग ऑक्सीजन के लिए भटक रहे  हैं। लेकिन इर परिस्थितियों में भी बक्सर जिले का यह गांव पूरी तरह से सुरक्षित है। कोरोना मुक्त इस गांव के लोगों ने बताया कि संक्रमण की लहर कमजोर पड़ने के बाद भी यहां के लोगों ने बेवजह घर से बाहर नहीं निकलने के नियम का पालन किया। जिससे गांव में महामारी के दूसरे लहर का असर नहीं हुआ।

हर आनेजाने वाले पर कड़ी नजर

यहां के लोगों ने बताया कि अगर ग्रामीण कहीं जाते भी थे तो सावधानी और सतर्कता के साथ। गांव में आने वाले हर व्यक्ति पर ग्रामीणों की पैनी नजर रहती है और बिना मास्क के गांव में प्रवेश नहीं दिया जाता है। गांव के लोग भी इस नियम का पालन करते हैं। अब स्थिति यह है कि प्रखंड के डॉक्टर और अधिकारी भी कोरोना से बचाव के लिए इस गांव का ही उदारहण देते हैं।

सावधानी और सतर्कता से ही बचाव

कोरोना काल में प्रखंड क्षेत्र में बहुत सारे प्रवासी कामगार आए और गए, लेकिन इस गांव से अब तक एक भी कोरोना संक्रमित नहीं मिलना बड़ी बात है। अन्य गांवों के लोगों को भी इस गांव से प्रेरणा लेनी चाहिए। कोविड-19 पार्ट टू में बचाव और सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है।





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