KAIMUR : जिले के दुर्गावती प्रखंड के बहेरा गांव में 45 दिन के अंदर एक ही परिवार के 3 लोगों की कोरोना से मौत हो गई। जिसके बाद परिवार वालों का रो-रो कर बुरा हाल है। इस घटना ने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया। मृतकों में एक उत्तर प्रदेश के सीतापुर के गन्ना पर्यवेक्षक भी शामिल है। वहीं कुछ दिनों के अंतराल में तीन लोगों की मौत के बाद बिहार के सरकारी अस्पतालों में हो रहे कोरोना टेस्ट को लेकर परिवार के लोगों ने सवाल उठा दिया है। इसके पीछे जो कारण बताया जा रहा है। वह बेहद ही चौंकानेवाले हैं
दरअसल कैमूर जिले के चेहरिया पंचायत के बहेरा गांव में विनय दुबे यूपी के सीतापुर में पोस्टेड थे। वहीं पर रह कर इनका छोटा भाई पीयूष दुबे प्राइवेट नौकरी करता था। जब लॉकडाउन लगा तो पीयूष दुबे वापस घर चला आया और कुछ दिनों के बाद बुखार से पीड़ित रहने लगा। लोकल में बुखार का इलाज हुआ। बुखार ठीक नहीं होने पर दुर्गावती पीएचसी में एंटीजन किट से कोरोना जांच हूआ जहां नेगेटिव आया फिर। भभुआ में जांच हुआ वहां भी नेगेटिव आया । मोहनिया के नीजी क्लीनिक में सिटी स्कैन कराने पर उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। आनन-फानन में परिवार वाले वाराणसी लेकर गए जहां डीआरडीओ ऑफिस में बनाए गए कोविड अस्पताल में 15 मई को मौत हो गई। उनके संपर्क में आए उनके बड़े पिता आत्मा दुबे भी अगले दिन 16 मई को कोविड संक्रमित होने के कारण चल बसे।
दो लोगों की मौत से परिवार अभी पूरी तरह उबर भी नहीं पाया था कि छोटे भाई का अंतिम संस्कार करने के लिए आए बड़े भाई यूपी के सीतापुर में कार्यरत गन्ना पर्यवेक्षक विनय दुबे भी तेरहवीं का रस्म समाप्त होते हीबीमार हो गए इनका भी कैमूर जिले के दुर्गावती और भभुआ में जांच किया गया जहां रिपोर्ट नेगेटिव बताया। फिर परिजन तबियत बिगड़ता देख वाराणसी लेते ले गए जहां उनका रिपोर्ट पॉजिटिव आया। फिर निजी क्लीनिक में चले इलाज के बाद 30 मई को उनका भी देहांत हो गया।
अब परिवार वाले एक तरफ बिहार सरकार के कोविड जांच व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं, तो दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के इलाज व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं कि मेरे मरीज के इलाज से संबंधित किसी प्रकार का जानकारी अस्पताल प्रबंधन द्वारा नहीं दिया जा रहा था। एक ही परिवार के दो सगे भाई सहित तीन लोगों की मौत हो जाने से परिवार जनों का रो रो कर बुरा हाल है। परिवार में विनय दुबे सबसे बड़ा भाई था जो गन्ना पर्यवेक्षक था इनका तीन बच्चे हैं। वहीं पियूष दुबे की एक छोटी बच्ची है। मन्झला भाई हैदराबाद में आर्मी में पोस्टेड है दो भाइयों की मौत के बाद आर्मी में कार्यरत अकेला भाई बचा जो बिहार सरकार के जांच व्यवस्था पर सवाल उठा रहा है।
वही एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत की बात डीसीएलआर मोहनिया राजेश सिंह से पूछे जाने पर इन्होंने उसको बहुत बड़ा घटना करार नहीं दिया। उनके अनुसार दूसरे लहर में मौतें हो रही हैं लेकिन इसको उस नजरिए से नहीं देखना चाहिए। सरकार के नजर में और प्रशासन के नजरों में यह सामान्य आंकड़ा है लेकिन जिसके परिवार के सदस्य इस कोरोना के कारण चल बसे उनकी तो पूरी दुनिया ही उजड़ गई। ऐसे में प्रशासन का इस तरह का गैर जिम्मेदाराना बयान इस दुख की घड़ी में मरहम की जगह नमक छिड़कने का काम कर रहा है ।