बगहा: नदी के कटाव से बचने के लिए जब प्रशासनिक मदद नहीं मिली तो ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से ही कटावरोधी कार्य शुरू कर दिया है। मामला प्रखंड बगहा दो नौरंगिया दरदरी पंचायत के पचफेड़वा गांव का है। जहां पहाड़ी नदी मनोर द्वारा पचफेड़वा में विगत कुछ दिनों से लगातार कटाव हो रहा है। जिससे ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नदी के कटाव से गांव पर खतरा उत्पन्न हो गया है। जिसके लिए दर्जनों बार गुहार लगाने पर भी बचाव कार्य नहीं होता देख ग्रामीण अपने गांव और खेती-बारी को बचाने के लिए श्रमदान से लंबा बांध बनाने में जुट गए।
जब इसकी जानकारी प्रशासन को लगी तो जल संसाधन विभाग के द्वारा ग्रामीणों को बोरा और जाली मदद स्वरूप उपलब्ध कराई गई। 1995 से गांव के ग्रामीण अपने गांव और अपनी खेती को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे है। लेकिन सरकारी उदासीनता से इनकी समस्या जस की तस बनी हुई है। पहाड़ी नदी के कटाव के कारण पचफेड़वा के किसानों को काफी क्षति हो चुकी है। उनके 25 से 30 एकड़ खेत नदी में विलीन हो चुके हैं। साथ ही लगभग 30 से 40 एकड़ में लगे गन्ना व धान के बिचड़े भी नदी की धारा में बह गए हैं। जिससे किसानों व ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। इसको लेकर पचफेड़वा के लोगों ने एसडीएम से कटावरोधी कार्य कराने का गुहार लगाया था।
हालांकि ग्रामीणों के गुहार पर एसडीएम शेखर आनंद ने स्थल का निरीक्षण कर तत्काल कार्य कराने का आश्वासन दिया था। लेकिन, कार्य में हो रही देरी और नदी के कटाव से परेशान लोगों ने कटाव से बचाव के लिए स्वयं ही बीड़ा उठा लिया। पंचायत के उपमुखिया राजेश काजी की माने तो कटाव से घुरौली पचपेड़वा के लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उनके कई एकड़ खेत नदी में विलीन हो चुके हैं। अबतक प्रशासनिक स्तर पर कोई मदद नहीं मिली।
ऐसे में ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से सैंड बैग व बांस बल्ले तथा तार के माध्यम से कटाव रोधी कार्य शुरू कर दिया ताकि पचफेड़वा घुरौली का आवागमन बाधित ना हो एवं उनकी खेत कटने से बच जाए। साथ ही फसलों का भी बचाव किया जा सके। इधर पंचायत के मुखिया बिहारी महतो ने बताया कि कटाव को लेकर हुए नुकसान की जानकारी प्रखंड व अनुमंडल प्रशासन को दे दी गई है लेकिन अब तक इस दिशा में कोई कार्य नहीं हुआ है।