बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

बिहार पुलिस मुख्यालय के फऱमान का 1994 बैच वाले पुलिस अफसरों पर सबसे अधिक मार,अब थानेदार के रूप में नहीं हो पाएगी पोस्टिंग,क्योंकि .....

बिहार पुलिस मुख्यालय के फऱमान का 1994 बैच वाले पुलिस अफसरों पर सबसे अधिक मार,अब थानेदार के रूप में नहीं हो पाएगी पोस्टिंग,क्योंकि .....

PATNA: बिहार सरकार के आदेश का सबसे बड़ा असर 1994 बैच के पुलिस अधिकारी जो इंस्पेक्टर बन गए हैं उन पर हुआ है। गृह विभाग के नए आदेश के बाद से अब अधिकांश थानों में 1994 बैच में बहाल दरोगा जो अब इंस्पेक्टर बन गए हैं उनकी तैनाती नहीं हो पाएगी।क्यों कि 80 फीसदी अफसरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई लंबित है या फिर उनके खिलाफ ब्लैक मार्का लगा है।

दरअसल बिहार के सीएम नीतीश कुमार के आदेश पर गृह विभाग ने 15 अगस्त से बेदाग छवि वाले दारोगा-इंस्पेक्टर को हीं थाने की कमान सौंपने का आदेश जारी किया है।जिन अफसरों पर गंभीर आरोप हो या विभागीय कार्रवाई संचालित हो वैसे अधिकारियों को थानेदार के पद से हटाने का निर्देश है।गृह विभाग ने अपने आदेश में यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी मामले के आरोपी को थानेदार नहीं बनाया जाएगा।

सासाराम में 12 इंस्पेक्टरों को हटाया गया

इस आदेश के बाद से 1अगस्त से हीं दागदार छवि वाले सर्किल इंस्पेक्टरों और थानाध्यक्षों को हटाया जा रहा है।कई जगहों जैसे आरा,बक्सर और सासाराम में दागदार छवि वाले थानाध्यक्षों को हटा दिया गया है।सबसे अधिक असर 1994 बैच वाले पुलिसकर्मियों को पड़ी है।उदाहरणस्वरूप सासाराम जिले में 1994 बैच वाले अफसर जो इस्पेक्टर  के रूप में  तैनात थे वैसे 12 पदाधिकारियों को हटा दिया गया है।क्यों कि उनके खिलाफ प्रोसिडिंग लंबित है या फिर ब्लैक मार्का लगा है।इसके अलावे भोजपुर से भी 1994 बैच वालों का पत्ता साफ हो गया है।

2009 बैच वाले दरोगा-इसंपेक्टरों की चांदी

बता दें कि बिहार में 1075 थाने एवं 225 ओपी हैं।जबकि बिहार में करीब 1400 इंस्पेक्टर और9000 दारोगा हैं।बिहार में अब थानाध्यक्ष के अलावे 2 अपर थानाध्यक्ष को मिलाकर करीब 3500 इसंपेक्टर-सब इंस्पेक्टर चाहिए।वर्तमान में इसंपेक्टर और दारोगा की जितनी संख्या बल है उसमें  1994 बैच वालों में दागी की संख्या काफी है। जबकि 2009 बैच वाले भी करीब 15-20 फीसदी कहीं न कहीं दागी हैं या उन पर कोई न कोई आरोप की जांच चल रही हो।

अब तक गंभीर आरोप वाले भी सेटिंग के तहत बने रहते थे थानेदार 

बता दें कि बिहार में बड़ी संख्या में ऐसे थानेदार हैं जिनपर गंभीर आरोप रहने के बावजूद अपनी सेटिंग की वजह से मलाई वाले थाना में थानेदार के पद पर पदस्थापित रहे हैं। लेकिन अब सरकार के इस फरमान के बाद वैसे थानेदारों की नींद उड़ी हुई है।कई जगहों से तो उकी छुट्टी भी हो गई है,बाकि के जिलों में भी बहुत जल्द वैसे दागी अफसर हटने वाले हैं।

अब नए अफसरों को मिलेगा मौका

जिलों में कई अफसर ऐसे हैं जिनपर आरोप होने के बाद भी थानेदार बने हैं उन्हें अब थानेदारी छोड़नी पड़ेगी।लिहाजा खाली जगह पर नए अफसरों की तैनाती होगी।सरकार के इस आदेश से भले हीं माफिया किस्म के थानेदार के सिर पर चिंता की लकीरें हों लेकिन बड़ी संख्या में वैसे पुलिस अधिकारी खुश हैं।उनकी खुशी की वजह यह है कि अब मजबूरी में हीं सही लेकिन थाना चलाने की जिम्मेवारी मिलने की संभावना बढ़ गई है।

सभी थाने में थानाध्यक्ष के अलावे अपर थानाध्यक्ष

बता दें कि इसी 15 अगस्त से बिहार के थानों में अनुसंधान विंग और विधि व्यवस्था विंग को अलग किया जा रहा है।दोनों विंग के लिए अलग-अलग अपर थानाध्यक्ष की तैनाती होगी।


Suggested News