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बिहार पुलिस का यह कैसा न्याय...एक हीं तरह के आरोप में बक्सर वाला दरोगा निलंबित और पटना के इंस्पेक्टर साहब मौज में...

बिहार पुलिस का यह कैसा न्याय...एक हीं तरह के आरोप में बक्सर वाला दरोगा निलंबित और पटना के इंस्पेक्टर साहब मौज में...

PATNA: बिहार पुलिस का यह कैसा न्याय है? एक हीं तरह के आरोप में बक्सर वाले दरोगा को सजा मिल गई वहीं पटना वाले इंस्पेक्टर को छूने की हिम्मत किसी अधिकारी में नहीं हुई।बिहार पुलिस के दोनों अधिकारियों ने निरीह जनता के साथ मारपीट की थी।दोनों मामले में वीडियो सामने आया था। वीडियो वायरल होने के बाद दरोगा को सस्पेंड कर दिया गया है लेकिन पटना के ट्रैफिक थानेदार पर अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई।उल्टे उस थानेदार को बचाने की कोशिश की जा रही है।आखिर कार्रवाई हो भी कैसे उस इंस्पेक्टर पर सत्ताधारी दल के एक कद्दावर नेता का वरदहस्त जो है.......

खबर है कि बक्सर के जिस दरोगा को एक युवक के साथ मारपीट करते वीडियो वायरल हुआ उस मामले में पुलिस मुख्यालय हरकत में आ गया ।इसके बाद आनन-फानन में 24 घंटे के भीतर  निलंबति कर दिया गया ।लेकिन सरकार के नाक के नीचे राजधानी पटना में जिस तरह से ट्रैफिक थानेदार में गुंडागर्दी की उस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की।वीडियो वायरल हुए 36 घंटे से अधिक बीत गए लेकिन पटना पुलिस के अधिकारियों ने जांच कराना भी मुनासिब नहीं समझा।आज वह अधिकारी मौज में है और ठाट से थानेदारी कर रहा है।

खबर है कि ट्रैफिक थानेदार के सिर पर सत्ताधारी दल के एक बड़े नेता का वरदहस्त है।लिहाजा वरीय अधिकारी भी कार्रवाई करने से बच रहे हैं।जबकि दरोगा की पहुंच सत्ता तक नहीं थी लिहाजा उसे सस्पेंड करने में तनिक भी देर नहीं किया गया।

बता दें कि बक्सर में  नगर थाना के दरोगा रौशन कुमार जब बिना हेलमेट के गुजर रहे थे तो एक शख्स ने उनसे हेलमेट नहीं पहनने का कारण पूछा। इससे दरोगा जी भड़क गए और उसके साथ गाली-गलौज की और खींचते हुए थाने ले गए।दरोगा की गुंडई का वीडियो सामने आने पर पुलिस की भारी फजीहत हो गई।इसके बाद लाज बचाने के लिए आरोपी दरोगा को सस्पेंड कर दिया गया।

वहीं शुक्रवार को पटना के ट्रैफिक थानेदार अरूण कुमार की गुंडागर्दी खुलेयाम सड़कों पर दिखी थी।।उसकी गुंडागर्दी से राजधानी की आम-आवाम त्रस्त है।शुक्रवार को जिस तरीके से थानेदार गुंडागर्दी करते रहा और निहत्था युवक गिड़गिडाता रहा... युवक इंस्पेक्टर के पैरों पर भी गिरा बावजूद इसके गुंडागर्दी का आलम ये रहा कि उस थानेदार ने उस शख्स को बीच सड़क पर घसीटना शुरू कर दिया। उससे इस बात की पुष्टि होती है कि शायद उस थानेदार पर वर्दी का नशा छाया हुआ है। अपराधियों के सामने मिमियाने वाला इंस्पेक्टर का इतने से भी मन नहीं भरा तो उस निहत्थे इंसान को गांधी मैदान पुलिस के हवाले कर दिया।आरोप लगाया गया कि वह अपनी गाड़ी में आग लगाने जा रहा था।भला कोई अदना आदमी अपनी गाड़ी में आग क्यों लगाएगा।अगर दबंग इंस्पेक्टर की बात पर विश्वास कर भी लिया जाए तो फिर यह सवाल तो उठता हीं है कि क्या उसके पास माचिस या कोई अन्य ज्वलनशील पदार्थ मिले जिससे वह आग लगाता ।अगर नहीं था तो फिर वह शख्स आग कैसे लगाता ?जब उसके पास माचिस नहीं थी तो क्या वह बीच सड़क पर पत्थर रगड़कर अपनी गाड़ी को आग के हवाले करता? इसका जवाब पटना ट्रैफिक इंस्पेक्टर को देना चाहिए।
 
 

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