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पूर्व मंत्री के अंतिम संस्कार में फिर दगा दे गई बिहार पुलिस की बंदूकें, सलामी के दौरान नहीं कर सकी फायर, जानें इससे पहले कब हुआ था ऐसा

पूर्व मंत्री के अंतिम संस्कार में फिर दगा दे गई बिहार पुलिस की बंदूकें, सलामी के दौरान नहीं कर सकी फायर, जानें इससे पहले कब हुआ था ऐसा

SASARAM : बिहार पुलिस अपने हथियारों के रखरखाव को लेकर कितनी गंभीर है, इसकी पोल तब खुल गई, जब पूर्व मंत्री रामधनी सिंह के अंतिम संस्कार में सम्मान दी जा रही सलामी के दौरान बिहार पुलिस की बंदूकें फायर नहीं कर सकी और दगा दे गई। इस दौरान सिर्फ दो बंदूकें ही फायर कर सकी। जबकि अंतिम संस्कार के दौरान आरजेडी विधायक विजय मंडल, पूर्व मंत्री जयकुमार सिंह और पूर्व विधायक वशिष्ठ सिंह भी मौजूद थे।

बता दें कि पूर्व मंत्री रामधनी सिंह की मंगलवार को पटना में निधन हो गया था। राज्य सरकार ने उनके अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ करने की घोषणा की थी। जिसके बाद आज राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि उनके पैतृक गांव में की गई. इस दौरान रोहतास पुलिस ने 12 बंदूकों से सलामी की व्यवस्था की थी। 

लेकिन, सही रखरखाव नहीं होने के कारण सलामी के दौरान 12 में दो को छोड़ किसी बंदूकों से फायरिंग नहीं हो सकी और लोगों के सामने पुलिस को शर्मिंदा होना पड़ा।  राजकीय सम्मान की घोषणा की गई थी लेकिन जब बंदूक से सलामी दी जाने लगी तो मात्र दो फायर ही हो सकी, बाकी राइफल फायर नहीं हो सकी।उसके बाद अंत्येष्टि की शुरुआत की गई. बताया जाता है कि काफी मशक्कत के बाद भी फायरिंग नहीं हो सकी। जबकि खास बात ये भी है कि इस दौरान रोहतास के जिलाधिकारी नवीन कुमार और पुलिस अधीक्षक विनीत कुमार भी मौजूद थे।

डेहरी पुलिस लाइन से बुलाए गए थे जवान

हालांकि इस मामले में जब सासाराम एसडीपीओ से बात की गई तो उन्होंने मामले से अनभिज्ञता जतायी."डेहरी के पुलिस लाइन से जवानों को लाया गया था. पांच राउंड की फायरिंग होनी थी. इस बारे में ज्यादा जानकारी लाइन डीएसपी ही दे सकते हैं. फिलहाल वीडियो देखने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है

पूर्व मुख्यमंत्री के अंतिम संस्कार में भी हुआ था ऐसा

इससे पहले भी कई बार ऐन मौके पर बिहार पुलिस की राइफल धोखा दे चुकी है। साल 2019 में सुपौल में पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के अंतिम संस्कार से पहले गार्ड ऑफ ऑनर के दौरान पुलिस के सभी 22 जवानों की राइफल्स फेल हो गई. सलामी के लिए हवा में बंदूकें उठाईं तो गईं लेकिन गोली नहीं चली, जिसको लेकर देश भर में बिहार सरकार की खूब छिछालेदार हुई थी।

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