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BIHAR POLITICS : लोजपा मे चाचा की बगावत पर अब चिराग बताएंगे पूरी सच्चाई, पार्टी के काम से कराएंगे अवगत

BIHAR POLITICS : लोजपा मे चाचा की बगावत पर अब चिराग बताएंगे पूरी सच्चाई, पार्टी के काम से कराएंगे अवगत

NEW DELHI : लोजपा की कुर्सी को लेकर चाचा भतीजा की लड़ाई अब खुलकर सामने आ गई है। चाचा पशुपति पारस ने अपने चार सांसदों संग मिलकर चिराग को उनके ही पिता की पार्टी से अलग कर दिया है। जिसके बाद अकेले पड़े चिराग अब खुलकर बोलने के लिए तैयार हैं। बताया जा रहा है कि पार्टी की हुई इन तमाम गतिविधियों को लेकर उन्होंने एक प्रेस वार्ता बुलाई है। जिसमें वह चाचा और उनसे साथ गए दूसरे सांसदों को लेकर अहम जानकारी दे सकते हैं। इससे पहले मंगलावर को चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने लोजपा (LJP) कार्यसमिति की वर्चुअल बैठक ली. इस दौरान बड़ा फैसला लेते हुए चिराग पासवान ने बगावत करने वाले अपने  चाचा पशुपति पारस (Pashupati Kumar Paras) समेत सभी 5 सांसदों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. इसके बाद ही चिराग ने पार्टी के अध्यक्ष पद पर भी अपना दावा पेश किया है.

इधर,  एलजेपी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में सूरजभान सिंह  को कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया है. माना जा रहा है कि पांच दिन के भीतर राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा. फिलहाल, सूरजभान सिंह की अध्यक्षता में बैठक होगी. एक-दो दिन में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो सकती है. संसदीय दल के नेता के बाद अब चिराग पासवान को एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से भी हटाया दिया गया है

इससे पहले चिराग पासवान का एक छह पन्नों का लेटर भी वायरल हुआ है, जो उन्होंने होली के दौरान अपने चाचा पशुपति पारस को लिखी थी। इस लेटर में कई वर्तमान में हुई तमाम गतिविधियों को लेकर सारी बातों का जिक्र किया गया है। लेटर में चिराग ने साफ कर दिया है कि पशुपति इस बात से खुश नहीं थे कि चिराग को पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाए। न ही वह इस बात के लिए राजी थे कि विधानसभा चुनाव में लोजपा जदयू के बगैर लड़े। जबकि अब जो भी हुआ है, उसमें जदयू की बड़ी भूमिका बताई जा रही है। 

इस लेटर में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि रामविलास के निधन के बाद पशुपति ने चिराग के परिवार से दूरी बना ली थी। यहां तक कि वह किसी मीटिंग में भी नहीं आते थे। चिराग के लेटर में इस बात का जिक्र है कि पिता के तेरहवीं के लिए उनकी मां ने 25 लाख रुपए दिए थे, जबकि पशुपति की तरफ से सहयोग नहीं मिला था



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