KATIHAR : आप के बीमार पड़ने की स्थिति में आपको अस्पताल पहुंचाने या रेफर की स्थिति में दूसरे जगह तक पहुंचाने के लिए सरकार दो तरह का एंबुलेंस सेवा कि शुरुआत की है, इसमें एक बेसिक एंबुलेंस सेवा है जबकि दूसरा एडवांस एंबुलेंस सेवा है, इन एंबुलेंस में एक ड्राइवर के साथ एक एक्सपर्ट टेक्नीशियन को रखा गया है ताकि एंबुलेंस में मौजूद हाईटेक मशीनरी के द्वारा बीमार मरीजों के इलाज एंबुलेंस में भी जारी रहे मगर कटिहार से इसी से जुड़ा व्यवस्ता पर हमलोग एक बड़ा खुलासा करने जा रहे हैं और यह खुलासा पूरी तरह आपकी जिंदगी के डोर से जुड़ा हुआ है...
कटिहार में लगभग 36 एंबुलेंस है और सभी एंबुलेंस में ड्राइवर के साथ एक टेक्निकल जानकार स्वास्थ्य कर्मी को मरीजों को एंबुलेंस से एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के दौरान चिकित्सक से के परामर्श से दिए गए सेवा जारी रखने के लिए रखा गया है मगर इनमें से अधिकतर टेक्निकल स्टाफ को एंबुलेंस की मशीनरी ऑपरेट की जानकारी है ही नहीं,हमारे कैमरे में कैद एक स्वास्थ्य कर्मी की बात सुनकर आप दंग रह जाएंगे, वह खुद मान रहे हैं उन्हें इन मशीनों के संचालन की जानकारी है ही नहीं, जहां तक टेक्निकल डिग्री के बात है वैसा भी दूर-दूर तक इस जनाब के पास नहीं होने की बात वह खुद कह रहे हैं, आर्ट्स से पढ़ाई करने वाले हरिशंकर महतो कहते हैं कि एक लाख साठ हजार रुपया लेकर उनको बहाल किया गया है और ट्रेनिंग के नाम पर अब तक उन्हें कोई खास जानकारी नहीं दिया गया है, जिस कारण वह इस एंबुलेंस की टेक्निकल व्यवस्था संचालन करने में अक्षम है...
ऐसे में सवाल उठता है सरकार जब इतने बड़े पैमाने में लोगों के इलाज के लिए एंबुलेंस सेवा की शुरुआत कर सकता है तो उस एंबुलेंस सेवा को संचालन के लिए अगर ऐसे तकनीकी स्टाफ को एजेंसी के माध्यम से रुपया लेकर बहाल कर दिया जाएगा तो मरीजों के जान तो भगवान भरोसे ही है...
फिलहाल हमारे कैमरे में कैद सफेद एंबुलेंस के इस काला खेल के खुलासे पर जिला अधिकारी ने सिविल सर्जन से पूरे मामले पर जांच करवाने का बात कर रहे हैं, निश्चित तौर पर यह सिर्फ कटिहार ही नहीं बल्कि बिहार के अन्य शहरों में भी एंबुलेंस व्यवस्था कैसे संचालन हो रहा है इसकी भी बड़ी जांच होनी चाहिए, हो सकता है बिहार के शहर- शहर, गांव-गांव तक सरकार द्वारा शुरू किए गए एंबुलेंस सेवा मौत के वाहन बन कर सड़कों पर सायरन बजा रही है।