PATNA: बिहार विधानसभा चुनाव में वोटरों ने लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान के पैर के नीचे से जमीन खींच ली। अब वे पूरी तरह से पैदल हो गए हैं। भाजपा-जेडीयू से पंगा लेकर चिराग पासवान अकेले चुनावी मैदान में उतरे थे। लोजपा सुप्रीमो ने 135 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे . लेकिन बिहार के वोटरों ने चिराग पासवान की पार्टी लोजपा की हवा निकाल दी। लोजपा सुप्रीमो चिराग बिहार और बिहारी को फर्स्ट बनाने का लॉली पॉप दिखाकर वोटरों से वोट लेना चाहते थे। लेकिन वोटर उनके झांसे में नहीं आये. एक विधानसभा सीट छोड़कर बाकी सभी जगहों पर लोजपा कैंडिडेट की करारी हार हुई। इस तरह से चिराग का मंसूबा चकनाचूर हो गया।
2 दिसंबर से बिहार से बाहर हैं चिराग
लोजपा का बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट का मिशन फेल कर गया। चिराग पासवान को लग रहा था कि वे बिहार के नौजवानों-गरीबों को बिहारी को फर्स्ट बनाने का वायदा कर वोट ले लेंगे,लेकिन कामयाब नहीं पाये। जब बिहार की जनता ने चिराग को कहीं न नहीं छोड़ा इसके बाद अब वे बिहार से मुंह मोड़ लिये हैं. चुनावी में करारी हार के बाद चिराग पासवान दिल्ली का रूख कर चुके हैं. वे 2 दिसंबर के बाद बिहार की धरती पर कदम नहीं रखे हैं। जानकार बताते हैं कि अब वे बिहार में कभी-कभार हीं दिखेंगे क्यों कि हाल-फिलहाल यहां कोई चुनाव नहीं है। 2 दिसंबर के बाद आज 28 दिसंबर है यानी 26 दिन हो गए,उनको देखे हुए।बताया जाता है कि वे दिल्ली में बैठकर भाजपा से नजदीकी बनाने में जुटे हैं.
क्या बिहार ऐसे बनेगा फर्स्ट?
जेडीयू की तरफ से सवाल उठाया जा रहा कि क्या ऐसे नेता कभी बिहार का भला कर सकते हैं? जो नेता बिहार को फर्स्ट बनाने की बात करता हो वह महीनों तक बिहार की जनता से दूर रहे वो क्या बिहार के बारे में सोचेगा? वैसे नेताओं को बिहार की जनता पूरी तरह से पहचानती है। इस चुनाव में वोटरों ने सबक भी दिया है कि बेवकूफ बनाकर वोट नहीं ले सकते। जेडीयू नेता कहते हैं कि मौसमी नेता आमलोगों का कभी भी भला नहीं कर सकते। लोजपा की करारी हार के बाद पार्टी नेताओं ने बी चिराग पासवान को बिहार में रहकर राजनीति करने की सलाह दी थी।लेकिन इसका असर भी नहीं हुआ और 26 दिन हो गए लेकिन चिराग पासवान को अपने दल के नेता भी नहीं देख पाये हैं. इस संबंध में लोजपा के नेता कुछ बी बोलने को तैयार नहीं।
...तो बीजेपी से पींगे बढ़ाने में जुटे चिराग?
जानकार बताते हैं कि चिराग पासवान अब भाजपा से पींगे बढ़ाने में जुटे हैं. उनकी पूरी कोशिश है कि भाजपा से संबंध बहाल हो और फिर से मोदी मंत्रिमंडल में खुद जगह मिल जाये। लेकिन यह होते हुए नहीं दिखता है। रविवार को भाजपा की सहयोगी जेडीयू के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने साफ-साफ कह दिया था कि लोजपा न तो बिहार एनडीए में है और न दिल्ली एनडीए में। केसी त्यागी का यह बयान यह बताने के लिए काफी है कि जेडीयू चिराग को बख्शने को तैयार नहीं।
क्या नीतीश कुमार ऐसा होने देंगे?
चिराग पासवान द्वारा नीतीश कुमार को जेल भेजने की बात कह और जेडीयू को छोटे भाई की भूमिका में ला खड़ा करने के बाद नीतीश कुमार किसी कीमत पर अब लोजपा को एनडीए में इंट्री नहीं करने देना चाहते। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि नीतीश कुमार भले ही एनडीए में छोटे भाई की भूमिका में हों लेकिन यह सर्वविदित है कि वे जो ठान लेते हैं वो करते हैं। बीजेपी अगर जेडीयू के विरोध के बाद भी लोजपा को साथ लेती है तो सीएम नीतीश और भाजपा के बीच रिश्ते और भी गंभीर होंगे।