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बिहारी श्रमिकों के वापसी के बाद लोगों को समझ में आ रहा है इनका महत्व, महानगरों में बंद पड़ी है फैक्ट्रियां

बिहारी श्रमिकों के वापसी के बाद लोगों को समझ में आ रहा है इनका महत्व, महानगरों में बंद पड़ी है फैक्ट्रियां

Kaimur  : महानगरों और अन्य राज्यो में जिन बिहारी श्रमिकों को बोझ समझा जाता था, महानगरों और अन्य राज्यों के फैक्ट्री मालिकों और अन्य व्यवसाय से जुड़े लोगों को इनका महत्व समझ में आने लगा है। यह कहना है कि मोहनिया के बीजेपी विधायक निरंजन राम का। 


विधायक ने कहा है कि लॉकडाउन ने बिहारियों के महत्व और मेहनत को लोगों को समझा दिया है। आज लोग यह मानने को मजबूर हो गये है कि इन्हीं बिहारियों की बदौलत अन्य राज्यों और शहरों की फैक्ट्रियां और अन्य व्यवसाय चलते है। 

बीजेपी विधायक निरंजन राम ने कहा है कि पहले बिहारियों को दूसरे राज्यों में बोझ समझा जाता था। लॉक डाउन होने के बाद जब बिहारी लोग शहरों की फैक्ट्रियां और अन्य नौकरियों को छोड़कर वापस अपने राज्य बिहार लौट गये है। इनके लौट आने के बाद अब महानगर की बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों में काम करने वाले नहीं मिल रहे है। जिसके बाद फैक्ट्री मालिकों के अब समझ में आने लगा है कि बिहारियों का क्या महत्व है।  

जब लॉकडाउन हुआ सारे फैक्ट्रियों के मजदूर पलायन करने लगे उस समय फैक्ट्री छोड़ कर आ रहे बिहारी लोगों को भी फैक्ट्री मालिकों और कम्पनी के लोगों ने काफी रोकने का प्रयास किया । पैसे अधिक देकर पेमेंट बढ़ा कर उन्हें बुलाने का प्रयास किया गया। आज बिहारियों के महत्व को पूरा देश समझ गया है  कि इन्हीं के बदौलत बड़े शहरों के आर्थिक गतिविधि है। आज बिहारी बोझ की दृष्टि से नहीं बल्कि सम्मान की दृष्टि से हर जगह पूछे जा रहे हैं।

कैमूर से देवव्रत की रिपोर्ट


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