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अपनों के तिकड़म में फिर से फंसेगा बिक्रम सीट?,विधानसभा में अपने ही नेताओं की नूरा कुश्ती से बीजेपी परेशान

अपनों के तिकड़म में  फिर से फंसेगा बिक्रम सीट?,विधानसभा में अपने ही नेताओं की नूरा कुश्ती से बीजेपी परेशान

PATNA : प्रदेश में विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही सभी 243 सीटों पर टिकटार्थियों के बीच दंगल आरम्भ हो चुका है। रोचक यह है कि सभी पार्टियों में यह दंगल अपनों के बीच है। क्षेत्र में घूमते हुए यह दंगल किसी भी चौक चौराहे पर दिख जाएगा। ऐसा ही एक चर्चित क्षेत्र पटना ग्रामीण लोकसभा का बिक्रम विधानसभा है। 

भूमिहार बहुल यह विधानसभा वैसे तो पिछले बीस सालों में भाजपा का गढ़ माना जाता रहा,  लेकिन 2015 में राजद-जेडीयू के रथ पर सवार कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ सिंह ने भाजपा के प्रत्याशी और तीन बार के विधायक अनिल कुमार को बुरी तरह पटखनी देकर पार्टी का मान-मर्दन किया था।जनता की मानें तो तब पटना के मशहूर बाल रोग विशेषज्ञ डॉ उत्पलकांत के पुत्र सिद्धार्थ के धन-बल के साथ नेताओं के भीतरघात ने पार्टी को रिकार्ड मतों से पराजित होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। संगठन से अनिल कुमार की दूरी पार्टी के लिए भारी फजीहत करवाने वाला रहा।

इसबार बिक्रम में मतदान पहले फेज में ही 28 अक्टूबर को है। जिसके लिए नामांकन की अंतिम तारीख 8 अक्टूबर है। परंतु सूत्रों की माने तो भाजपा नेतृत्व अभी तक इस सीट को लेकर कोई निर्णय नहीं कर पाया है। एक दर्जन के करीब नेताओं ने इस सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है। बगल की पालीगंज सीट जेडीयू को जाने की बात फैलते ही पालीगंज के संभावित प्रत्याशियों ने भी बिक्रम से ही अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी। इससे बिक्रम का तिकड़म और जटिल हो गया है।

क्षेत्र में घूमते हुए भाजपा समर्थकों के बीच जहां इन नामों की चर्चा मिल जाएगी वहीं कई रोचक जानकारी भी मिलती है। पूर्व विधायक और पिछली बार हार का स्वाद चख चुके अनिल कुमार के बारे में समर्थकों का दावा है कि पार्टी इन्हें टिकट दे या न दे ,वे निर्दलीय भी चुनाव लड़ने को तैयार हैं।

ऐसी ही चर्चा पूर्व विधायक रामजन्म शर्मा और उषा विद्यार्थी को लेकर है। रामजन्म शर्मा के समर्थक एक कदम आगे बढ़ यह दावा करने से नहीं अघाते कि अगर नेता जी को टिकट नहीं मिलता तो वो भाजपा प्रत्याशी को हराने में दम लगा देंगे। पार्टी के टिकट को लेकर इसबार कुछ नए युवा चेहरे भी हैं। इनमें एक हैं अतुल कुमार जो भाजपा युवा मोर्चा से हैं। इनके समर्थकों का भी अपना दावा है। अनिल कुमार के समर्थकों का सीधा-सीधा आरोप है कि 2015 के चुनावों में अतुल कुमार ने ही सबसे बड़ा भीतरघात किया था, अतः अगर पार्टी इन्हें चुनती है तो इसका जबरदस्त विरोध होगा।

इनके अलावा बिक्रम विधानसभा के विशेष सदस्यता प्रभारी और वर्तमान में प्रदेश कार्यसमित्ति सदस्य योगेंद्र शर्मा और खुद को भाजपा का चेहरा कहने वाले विमल मनोज दो और प्रमुख उम्मीदवार मैदान में हैं। जहां कार्यकर्ताओं में विमल मनोज की ज्यादा चर्चा नहीं मिलती वहीं क्षेत्र को अपने, प्रदेश तथा क्षेत्र के पार्टी कार्यकर्ताओं के फ़ोटो वाले बैनर-पोस्टर से रंग देने वाले योगेंद्र शर्मा के अधिकांश युवा समर्थक खामोश होकर गेंद बड़े नेताओं के पाले में डाल देते हैं।

तो तय है कि बिक्रम विधानसभा के वर्तमान विधायक सिद्दार्थ सिंह से प्रतिद्वंदी   उम्मीदवार के मुकाबले को क्षेत्र की जनता बाद में देखेगी, पहले उन्हें भाजपा के अंदर ही एक रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा।

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