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प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने में विफल राज्य सरकार, मजदूर फिर एकबार पलायन को मजबूर

प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने में विफल राज्य सरकार, मजदूर फिर एकबार पलायन को मजबूर

RANCHI : बीजेपी ने प्रदेश की हेमंत सोरेन सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। बीजेपी ने कहा है कि प्रवासी मजूदरों के लिए सरकार की ओर से कोई रोजगार उपलब्ध नहीं कराये जाने की वजह से वे संकट की इस घड़ी में फिर से पलायन को मजबूर हो गये है। 

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घोषणा की थी की वापस लौटे सभी प्रवासी मजदूरों को झारखंड में ही रोजगार मिलेगा।उन्हें वापस  जाने की जरूरत नहीं होगी। लेकिन मुख्यमंत्री की घोषणा हवा-हवाई साबित हुई और हर रोज प्रवासी मजदूरों के अपने कार्य स्थल में लौटने की खबरें आ रही हैं। 

प्रतुल ने कहा कि कम्पनियां मजदूरों को हवाई जहाज और बसों से वापस ले जाया जा रही है। अभी हाल ही में लातेहार, गढ़वा और मेदिनीनगर से एलएनटी कंपनी ने आंध्र प्रदेश के लिए सैकड़ों मजदूरों को बसों से वापस ले गई। वहीं गिरिडीह से भी हजारों की संख्या में मजदूरों के लौटने की खबरें आ रही है। 

प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री ने 4 मई को ही प्रवासी मजदूरों के लिए बिरसा मुंडा हरित ग्राम योजना, नीलाम्बर-पीताम्बर जल समृद्धि योजना, वीर शहीद पोटो हो खेल मैदान योजना का प्रारंभ किया था। सरकार को बताना चाहिए की इन योजनाओं से कितने लोगों को रोजगार मिला क्योंकि इन योजनाओं का जमीन पर कार्य  दिख नही रहा। 

प्रतुल शाहदेव ने कहा है कि राज्य सरकार ने चतुराई से मनरेगा से इन योजनाओं को जोड़कर अपना बताने की कोशिश की है जबकि जबकि मनरेगा में केंद्र का ही मुख्य अंशदान (75%-100%) होता है। राज्य सरकार को यह भी बताना चाहिए की 'स्किल मैपिंग' के तहत उसने अब तक कितने प्रवासी मजदूरों का डाटा बैंक तैयार किया है और इस डाटा बैंक के कारण कितने मजदूरों को उनके हुनर के अनुसार रोजगार मिला। 

उन्होंने कहा कि झारखंड लौटे लाखों प्रवासी मजदूर अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं और संक्रमण का खतरा उठा कर भी अपने कार्यस्थल को लौटने को मजबूर हो रहे हैं। यह पूरे तरीके से राज्य सरकार की नाकामी है।

रांची से मो. मोइजुद्दीन

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