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नीतीश सरकार में आज भी 'पावरलेस' है BJP! अध्यक्ष के प्रस्ताव को रद्दी की टोकरी में फेंका, निर्णय बदलवाने की बजाए 'बेबस' दिखे संजय जायसवाल

नीतीश सरकार में आज भी 'पावरलेस' है BJP! अध्यक्ष के प्रस्ताव को रद्दी की टोकरी में फेंका, निर्णय बदलवाने की बजाए 'बेबस' दिखे संजय जायसवाल

पटनाः बिहार एनडीए में बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में है। 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू खिसककर छोटे भाई की भूमिका में आ गई थी। इसके बाद भी भाजपा ने नीतीश कुमार को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया। बीजेपी अपने कोटे में 2 डिप्टी सीएम और जेडीयू से कुछ अधिक मंत्री लेकर गदगद हो गई। सरकार में बीजेपी की हैसियत वैसे तो बड़े भाई की है लेकिन हकीकत यही है कि सरकार के निर्णय में बीजेपी की कोई पूछ नहीं।आज भी बीजेपी के मंत्री सरकार में पिछलग्गू की भूमिका में हैं। बीजेपी की ताकत भले ही बढ़ी हो लेकिन सरकार के अंदर पावर नहीं बदली। यानि 2005 से लेकर 2020 तक की जो स्थिति थी उसमें सिर्फ संख्या बल में इजाफा हुआ ताकत में नहीं। तभी तो मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार निर्णय ले लेते हैं और बीजेपी कुछ नहीं कर पाती। इतना ही नहीं भाजपा की सिफारिश को रद्दी की टोकरी में डाल दिया जाता है। हद तो तब हो गई जब बड़े भाई की भूमिका में रहे बीजेपी अध्यक्ष के कोरोना संकट में ऑल पार्टी मीटिंग में दिये प्रस्ताव को सरकार ने खारिज कर दिया। जानकार बताते हैं कि बीजेपी अध्यक्ष द्वारा आदेश को पलटवाने की बजाए सोशल मीडिया पर निर्णय का विरोध करना यह बताता है कि सरकार में आज भी बीजेपी नेताओं की कोई पूछ नहीं। 

सरकार में बीजेपी की हैसियत शून्य

बिहार सरकार में भाजपा की बड़ी भूमिका है। बीजेपी के 74 विधायकों की बदौलत नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे हैं। लेकिन भाजपा की अपनी ही सरकार में तनिक भी पूछ नहीं। हालात ऐसे हैं कि दोनों डिप्टी सीएम और मंत्रियों की कोई वैल्यू नहीं दिखती। सरकार के मुखिया के तौर पर सीएम नीतीश किचेन कैबिनेट के सहारे सरकार चला रहे। आज भी वही अधिकारी उनके अगल-बगल मौजूद हैं जो पहले थे। भाजपा की सलाह को नीतीश सरकार रद्दी की टोकरी में डाल दे रही । बीजेपी चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही। यानि पहले की तरह इस बार भी भाजपा बेबस बन टुकुर-टुकुर देख रही है। बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल ने नाईट कर्फ्यू लगाने की बजाए वीकेंड कर्फ्यू लगाने की मांग की थी। लेकिन बीजेपी अध्यक्ष के प्रस्ताव को खारिज कर नाईट कर्फ्यू लगा दिया गया। 

संख्या तो बदला पर पावर नहीं मिला

भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल को जब लगा कि अपनी ही सरकार ने कोरोना पर वीकेंड कर्फ्यू लगाने के हमारे प्रस्ताव को रद्दी की टोकरी में डाल दिया, इसके बाद उन्होंने फेसबुक पर अपनी भड़ास निकाली। जानकार बताते हैं कि प्रदेश अध्यक्ष द्वारा फेसबुक पर नीतीश सरकार के निर्णय पर सवाल उठाने से उनकी बेबसी और कमजोरी दिखती है। सरकार में वे बड़े भाई की भूमिका में हैं। ऐसे में उन्हें सोशल मीडिया की बजाए सरकार में अपनी बात को मजबूती से रखकर निर्णय को बदलवाना चाहिए था। लेकिन वे ऐसा न कर सोशल मीडिया में नाईट कर्फ्यू  पर सवाल उठाकर इस बात को प्रमाणित कर दिया कि सब कुछ बदला लेकिन पावर नहीं बदला।

जानिए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने क्या कहा था

दरअसल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने बिहार में नाईट कर्फ्यू लगाने के सरकार के निर्णय पर सवाल खड़े किये थे। उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर लिखा था कि मैं कोई  विशेषज्ञ तो नहीं हूं फिर भी सभी अच्छे निर्णयों में इस एक निर्णय को समझने में असमर्थ हूं कि रात का कर्फ्यू लगाने से करोना वायरस का प्रसार कैसे बंद होगा? यानि उन्होंने सरकार के रात का कर्फ्यू लगाने के निर्णय पर सवाल खड़े किय थे और नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा किया था।संजय जायसवाल ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा था कि बिहार सरकार ने बहुत सारे फैसले लिए हैं जो आज की परिस्थिति में बहुत अनिवार्य हैं।  मैं कोई  विशेषज्ञ तो नहीं हूं फिर भी सभी अच्छे निर्णयों में इस एक निर्णय को समझने में असमर्थ हूं कि रात का कर्फ्यू लगाने से करोना वायरस का प्रसार कैसे बंद होगा । अगर करोना वायरस के प्रसार को वाकई रोकना है तो हमें हर हालत में शुक्रवार शाम से सोमवार सुबह तक की बंदी करनी ही होगी । घरों में बंद इन 62 घंटों में लोगों को अपनी बीमारी का पता चल सकेगा और उनके बाहर नहीं निकलने के कारण बीमारी के प्रसार को रोकने में कुछ मदद अवश्य मिलेगी।

वैसे बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल पहले भी लॉ एंड ऑर्डर पर नीतीश सरकार को घेरते रहे हैं। सरकार में बड़े दल के प्रदेश अध्यक्ष के इस बयान से विरोधियों को एक बार फिर से बोलने का मौका मिल गया है। राजद-कांग्रेस नेताओं ने बीजेपी अध्यक्ष के इस बयान पर नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा किया है।

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